हरिकिशन बताते हैं कि उस वक्त विरोधी दलों के नेता इंदिरा को घेरने के लिए आएदिन कोई न कोई मांग लेकर आंदोलन शुरू कर देते थे। जिसके चलते पूरे देश में अव्यवस्था फैल रही है। गुजरात और बिहार की विधानसभाएं भंग की जा चुकी थीं। बावजूद े विपक्ष की मांगों का कोई अंत ही नहीं हो रहा तो इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया। बताते हैं, इंदिरा गांधी ने कानपुर की रैली के दोरान कहा था कि वो अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की हेट लिस्ट में सबसे ऊपर हैं और उन्हें डर है कि कहीं उनकी सरकार का भी सीआईए की मदद से चिली के राष्ट्रपति सालवडोर अयेंदे की तरह तख़ता न पलट दिया जाए। इंदिरा गांधी ने इन्हीं के चलते आपातकाल की घोषण की।
हरिकिशन बताते हैं कि रैली के पहले इंदिरा गांधी ने कुल्हड़वाली चाय पी और फिर जलेबी और अचार के साथ मठरी खाने की इच्छा जाहिर की। कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने मोतीझील से चाय लेकर के साथ ही आर्यनगर से देसी घी से तैयार गर्म जलेबी, मठरी और अचार लेकर आए। इंदिरा ने कानपुर का नाश्ता करके काफी खुश हुई। इंदिरा गांधी को इस बात का एहसास था कि अगर कानपुर के लोग और मजदूर उनके साथ खड़े हो गए तो चुनाव जीतना तय हैं। हरिकिशन बताते हैं कानपुर में का उस जमाने में मजूदरों का बोलबाला रहा है। यह शहर प्रदेश के बिलकुल बीच में होने के कारण यहां दिया गया मेसेज पूरे प्रदेश में आसानी से पहुंचता था। यहां से हर पार्टी को एक किस्म की एनर्जी मिलती है। अगर यहां कोई रैली या सभा कामयाब होती है, तो पार्टी अपने आने वाले दिनों का अनुमान आसानी से लगा लेती थी।