मैप पास किए जाने में केडीए इम्प्लाई जमकर मनमानी करते हैं. लोगों को फाइल के पीछे-पीछे दौडऩा पड़ता है, साथ ही हर टेबल पर जेब अलग से ढीली करनी पड़ती है. वहीं अगर यह फंडा नहीं अपनाया तो लोगों के मैप पास नहीं होते है. शायद यही वजह है कि तेजी से शहर में अवैध निर्माण बढ़ रहे हैं. लोगों के लिए केडीए से मैप पास कराना जितना मुश्किल हैं, उतना ही आसान केडीए की एनफोर्समेंट टीम से सेटिंग कर निर्माण कराना है. यही कारण है कि हर साल 1000 से लेकर 1200 के लगभग लोग मैप पास कराने के लिए केडीए में अप्लाई करते हैं. इनमें भी बमुश्किल केडीए लगभग 800 मैप पास करता है.
केडीए की इस मनमानी की गूंज शासन तक पहुंच चुकी है, इसीलिए उसने ऑनलाइन मैप पास करने की व्यवस्था की. बावजूद इसके केडीए इम्प्लाइज की मनमानी जारी है. वह जांच आदि के नाम पर बहानेबाजी कर मैप लटकाए रहते हैं. इसकी शिकायतें लगातार शासन तक पहुंच रही है, इसीलिए शासन ने मैप के लिए लो रिस्क और हाई रिस्क कैटागिरी बना दी है. लो रिस्क में उन मैप को शामिल किया गया है, जिनमें प्लॉट केडीए के हाउसिंग स्कीम के होते हैं. वहीं हाई रिस्क कैटागिरी में मैप प्राइवेट जमीनों के रखे गए हैं. लो रिस्क मैप पास करने में केडीए की मनमानी के लिए केवल 48 घंटे का समय शासन ने दिया है.
प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण ने इसका शासनादेश भी जारी कर दिया, जिसमें कि साफ है कि अगर अप्लाई किए जाने के बाद 48 घंटे में केडीए ने मैप पास न किया तो वह स्वत: पास माना जाएगा. वहीं हाई रिस्क श्रेणी के मैप में केडीए के लगाए गए ऑब्जेक्शन को दूर करने के लिए समय सीमा 30 दिन कर दी गई है. 30 दिन बाद भी ऑब्जेक्शन दूर न किए जाने पर मैप स्वत: निरस्त हो जाएगा. इसी तरह हाईरिस्क कैटागिरी में केडीए के डिमांड भेजने के 7 दिन में ऑन लाइन पेमेंट किया जाना कम्प्लसरी कर दिया है.