आचार्य पंडित ब्रह्म दत्त द्विवेदी का कहना है कि करवाचौथ विवाहित महिलाओं के लिए खास पर्व है। इस साल गुरु का संयोग भी विशेष है। महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा कर व्रत रखेंगी। पंडित मनोज कुमार द्विवेदी का कहना है कि करवाचौथ का दिन करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं। इस पात्र से चन्द्रमा को जल अर्पण किया जाता है। इसके बाद व्रत का परायण किया जाता है। ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान देने का भी महत्व है।
करवाचौथ पर चंद्र दर्शन और पूजन के समय दिशा का खास ख्याल रखें। करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है और चंद्र दर्शन के बाद परायण होता है। चंद्रोदय से पहले शिव परिवार का पूजन होता है। पूजन के समय देव प्रतिमा का मुख पश्चिम और स्त्री का मुख पूर्व की ओर होना चाहिए।