विधि छात्र के अधिवक्ता प्रत्यूष मणि मिश्रा की ओर से दाखिल परिवाद में कहा गया है कि किदवईनगर कानपुर के k-ब्लॉक की रहने वालीं महिला उद्यमी डेढ़ माह पूर्व कोरोना से संक्रमित हो गईं थीं। इधर 25 जून को उनकी तबियत अचानक खराब हो गई। इलाज के लिए घरवाले उन्हें रिजेंसी अस्पताल लेकर जा रहे थे। गोविंद नगर पहुंचने पर राष्ट्रपति के काफिले के गुजरने की बात कहते हुए ट्रैफिक को नए पुल पर चढ़ने से रोक दिया गया। इस दौरान उनके पति शरद मिश्रा ने पुलिस कर्मियों से गिड़गिड़ाते हुते कहा कि उनकी पत्नी की हालत गंभीर है। अगर समय से अस्पताल पहुंच जाएंगे तो जान बच जाएगी, लेकिन किसी ने एक न सुनी।
वहीं पुलिस की लापरवाही के चलते अस्पताल पहुंचते-पहुंचते वंदना की मौत हो गई। हालांकि अगले दिन पुलिस आयुक्त ने दुख प्रकट करते हुते इसे सिस्टम की नाकामी मानी। साथ ही घटना से सबक लेने की बात कहते हुए माफी भी मांगी। घटना की जांच के बाद एसआई सुशील कुमार और तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया गया। वहीं जितेंद्र ने तर्क रखा कि किसी की लापरवाही से व्यक्ति की मौत पर माफी मांग लेने से अपराध कम नहीं हो जाता। यह गंभीर अपराध है। इसके लिए आरोपियों को तलब कर दंडित किया जाना चाहिए।