वैज्ञानिकों का पहला लक्ष्य जानलेवा बीमारी से जूझ रहे लोगों को नया जीवन प्रदान करने का है। इसी सत्र से पढ़ाई शुरू होने के साथ शोध भी शुरू हो जाएगा। कोरोना काल ने चिकित्सा क्षेत्र में अत्यधिक शोध को बढ़ावा देने की सीख दी है। इस ओर आईआईटी कानपुर ने पहले ही कदम बढ़ा दिया है। संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर के मुताबिक संस्थान में सिर्फ चिकित्सा की पढ़ाई ही नहीं होगी, बल्कि एक सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल भी शुरू करने की तैयारी है। फिलहाल पढ़ाई के लिए पीजी कोर्स शुरू किया जाएगा। रिसर्च के लिए पूरी योजना तैयार है।
वैज्ञानिक मुख्य रूप से तीन क्षेत्र रीजनरेटिव मेडिसिन, मॉलीक्युलर मेडिसिन व डिजिटल मेडिसिन में रिसर्च करेंगे। इसे खोलने के लिए अमेरिका में रहने वाले एक भारतीय परिवार ने आर्थिक सहायता भी की है। आईआईटी की ओर से तैयार प्रारंभिक प्रस्ताव में सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल तैयार करने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में पहले एमडी, एमएस जैसे परास्नातक कोर्स चलाए जाएंगे और उसके बाद एमबीबीएस की पढ़ाई भी शुरू कराई जाएगी। इससे एमबीबीएस की सीटें और बढ़ जाएंगी, जिससे भविष्य में अच्छी संख्या में नए डॉक्टर तैयार किए जा सकेंगे।
ग्रोथ फैक्टर व स्टेमसेल पर भी होगा शोध
आईआईटी में वैज्ञानिक स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग इन मेडिसिन में ग्रोथ फैक्टर पर शोध करेंगे। नई जिंदगी प्रदान करने वाले स्टेमसेल पर भी बारीकी से शोध करने की तैयारी है। इसके अलावा स्केफोल्ड, इम्युनो, बीमारी से संबंधित सटीक दवा, ड्रग डिसकवरी, न्यूरो इंजीनियरिंग, डिजिटल डायग्नोस्टिक, कम्प्यूशनल ड्रग डिसकवरी आदि क्षेत्र में वैज्ञानिक नए शोध करेंगे। जिससे गम्भीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को आसानी से बचाया जा सकेगा।
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