scriptछोड़ गई मां, अब मासूमों की भूख को कौन करे शांत | Abandoned mother, now who can pacify the hunger of the innocent | Patrika News
करौली

छोड़ गई मां, अब मासूमों की भूख को कौन करे शांत

छोड़ गई मां, अब मासूमों की भूख को कौन करे शांतपिता विक्षिप्त, पेट भरने वाली मां भी चल बसी। ऐसे में तीन मासूमों के सामने रोटी का संकट आ गया है। यह मार्मिक स्थिति करौली जिले में गुढ़ाचन्द्रजी क्षेत्र की पदमपुरा ग्राम पंचायत के बेरोज गांव के मासूमों की है। इन तीन मासूमोंं की निर्धन हालत है और इनकी मां चल बसी है। इससे इन बच्चों के सामने भविष्य को संवारने और रोटी खाने का संकट सामने आ गया है। जो उम्र इन बच्चों की खेलने और पढऩे की है, उसमें उनको रोज रोटी की चिंता सताती है।

करौलीJan 23, 2022 / 12:38 pm

Surendra

छोड़ गई मां, अब मासूमों की भूख को कौन करे शांत

छोड़ गई मां, अब मासूमों की भूख को कौन करे शांत

छोड़ गई मां, अब मासूमों की भूख को कौन करे शांत
पिता विक्षिप्त, पेट भरने वाली मां भी चल बसी। ऐसे में तीन मासूमों के सामने रोटी का संकट आ गया है। यह मार्मिक स्थिति करौली जिले में गुढ़ाचन्द्रजी क्षेत्र की पदमपुरा ग्राम पंचायत के बेरोज गांव के मासूमों की है। इन तीन मासूमोंं की निर्धन हालत है और इनकी मां चल बसी है। इससे इन बच्चों के सामने भविष्य को संवारने और रोटी खाने का संकट सामने आ गया है। जो उम्र इन बच्चों की खेलने और पढऩे की है, उसमें उनको रोज रोटी की चिंता सताती है। अभी कुछ ग्रामीण मदद भी कर रहे हंै लेकिन ऐसा कब तक चलेगा, ये सोचकर 13 साल के बड़े बेटे शंकर की आंखों में आंसु आ जाते हैं जो कुछ वर्तमान-भविष्य को समझ सकता है। उसका छोटा भाई 11 साल का हेमू और 9 साल की बहन राधिका तो जीवन चक्र और दुनिया के माहौल से काफी कुछ अनजान हैं। मां भजनी देवी (44) मजदूरी करके अपने इन तीन बच्चों को पाल रही थी। लेकिन मां की मौत के बाद से इन मासूमों के सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। इन बच्चों का पिता खिलारी मीना विक्षिप्त बताया जिसको बीते कई वर्षो से घर -परिवार से कोई मतलब ही नहीं है।
ग्रामीण विनोद अग्रवाल ने बताया कि पांच साल पहले तक खिलारी मीना का हंसता-खेलता परिवार था। अचानक ही खिलारी के विक्षिप्त हो जाने से वह घर से अज्ञात स्थान को निकल गया। इसके बाद भजनी देवी दूसरों के यहां मजदूरी कर बच्चों का लालन-पालन कर रही थी। बुधवार रात भजनी की मौत होने से बच्चे अनाथ हो गए। उनके सामने रोटी का संकट खड़ा हुआ है। हालांकि कुछ ग्रामीणों ने मदद भी की। ग्रामीणों ने प्रशासन से बच्चों को विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करके उनके पेटभरने का प्रबंध करने की मांग
की है।

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