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करौली

बिन वर्षा धरा पर नहीं निखर रही भूमिपुत्रों की मेहनत

करौली. अषाढ़ के बाद सावन माह में भी मानूसन की बेरुखी और दिन-ब-दिन तल्ख होती सूर्य की किरणें ना केवल गर्मीसे लोगों को व्याकुल कर रही हैं, बल्कि भूमिपुत्रों की मेहनत भी धरा पर निखर नहीं पा रही।

करौलीJul 24, 2019 / 12:04 am

Dinesh sharma

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बिन वर्षा धरा पर नहीं निखर रही भूमिपुत्रों की मेहनत

करौली. अषाढ़ के बाद सावन माह में भी मानूसन की बेरुखी और दिन-ब-दिन तल्ख होती सूर्य की किरणें ना केवल गर्मीसे लोगों को व्याकुल कर रही हैं, बल्कि भूमिपुत्रों की मेहनत भी धरा पर निखर नहीं पा रही। इन दिनों इन्द्रदेव रूठे हैं और सूर्यदेव खिलखिला रहे हैं। ऐसी स्थिति में सावन माह में भी जेठ मास का अहसास हो रहा है।
आषाढ गुजरने के बाद अब सावन माह भी बारिश के लिए तरसा रहा है। ऐसे में जिले में फसलें पनपने से पहले ही मुरझाने लगी है।खेतों में नमी गायब हुई है और अनेक स्थानों पर बीज अंकुरित नहीं हो पा रहा है। जहां बीज अंकुरित हुआ भी है, वहां फसल की ग्रोथ नहीं हो पा रही। खुद कृषि विभाग के अधिकारी भी मान रहे हैं कि मानसून की बेरुखी फसलों पर भारी पड़ सकती है।
र्तमान में फसल एक फीट तक विकसित हो जानी चाहिए थी, लेकिन हवा, पानी के अभाव में पौधे महज 3 से 4 इंच तक ही पनप सके हैं। कृषि अधिकारियों के अनुसार जिले में अब तक औसतानुसार ढाई सौ पौने तीन सौ मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, जो केवल आधी ही हुई है।
हो सकती है फसल खराब
बारिश के अभाव में टोडाभीम-नादौती इलाके में तो स्थिति और भी खराब हो रही है।
खेतों में नमी की कमी और तेज धूप के चलते जमीं सूख गई है। खेतों में पपड़ी पड़कर जमीन कड़क हो गई, जिससे किसानों को निराई-गुड़ाई करने में भी परेशानी होने लगी है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि खेतों में नमी की कमी से हवा, प्रकाश पौधों को नहीं मिल पा रहा, जिसका असर उनकी ग्रोथ पर पड़ता है। अगर तीन-चार दिन और यही स्थिति रही तो फसल खराब हो सकती है।
जिले में फसल बुबाई का गणित
इस वर्ष जिले में 1 लाख 54 हजार हैक्टेयर भूमि में विभिन्न फसलों की बुबाई की गई है।
किसानों ने विशेष रूप से बाजरे की बुवाई की है। कृषि विभाग के अनुसार जिले में 1 लाख 22 हजार हैक्टेयर भूमि पर बाजरा की बुवाई हुई है, वहीं करीब 19 हजार हैक्टेयर में तिल बोई गई है, जबकि करीब 1500 हेक्टेयर में ग्वार की फसल की बुवाई हुई है। इनके अलावा अरहर, मूंग, चावल आदि की बुवाई भी की गई है। लेकिन अब तक कोई भी फसल अपेक्षा के अनुरूप विकसित नहीं हो पाई है।
बचाने का जतन
ज्यादातर हिस्सों में बारिश नहीं होने से फसल सूखने के कगार पर है। बाजरा, तिल, उड़द, मूंगफली आदि का विकास रुक गया है। फसल को बचाने के लिए अब किसान सिंचाई का सहारा ले रहे हैं। खेतों में लगी बोरिंगों और कुओं के पानी से फसल में पानी देकर फसल को बचाने के जुगत में लगे हैं। किसानों का कहना है कि कई जगह बीज झुलसने की भी नौबत आई है। यदि जल्द ही बारिश शुरू नहीं हुई तो फसल खराब हो जाएगी।
बिन बारिश पड़ रहा प्रतिकूल असर
जिले में इस बार डेढ़ लाख से अधिक हैक्टेयर में खरीफ फसल की बुवाई हुई है, अभी पर्याप्त बारिश का अभाव है। बारिश की कमी से अपेक्षानुरूप फसल पनप नहीं पा रही। तेज धूप भी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
चेतराम मीना, कृषि अधिकारी, कृषि विभाग करौली

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