हिण्डौन डेयरी प्लांट में दूध की पैकिंग शुरू होने के साथ ही वर्ष 2015 से घी का निर्माण शुरू हो गया था। जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के पास एगमार्क प्रमाणन नहीं होने से एक लीटर घी की पॉली पैकिंग नहीं हो रही थी। डेयरी में निर्मित घी को दूसरी डेयरियों से पीपों के खाली बारदाना मंगवा कर 15 किलो व पांच किलो वजन की टीन पैकिंग की जा रही थी। डेयरी में बना घी अब तक बीपीएल प्रसूता योजना व व्यवसायिक उपयोग में लिया जा रहा है।
रोजाना बनता 750 किलो घी-
हिण्डौन सरस डेयरी में टोण्ड व डबल टोण्ड दूध की पैंकिंग में सेपरेटा से निकाली क्रीम से रोजाना करीब 750 किलोग्राम घी का निर्माण होता है। डेयरी सूत्रों के अनुसार घी को पांच व 15 किलोग्राम की टीन में पैकिंग किया जाता है।
एगमार्क नहीं होने से डेयरी प्रबंधन एक लीटर व आधा लीटर घी की पैकिंग सीकर व अलवर डेयरी से करा रहे हैं। डेयरी सूत्रों के अनुसार 15 लीटर घी के टिनों को दूसरी डेयरियों में भेज उनके एगमार्क से एक लीटर वजन में पॉलीपैक में रि-पैक कराए जा रहे है। अब पॉली पैकिंग स्थानीय स्तर पर हो सकेगी।
डेयरी में अन्य मशीनों के साथ आई घी पैकिंग की मशीन वर्षों से अनुपयोगी पड़ी है। करीब पांच वर्ष से धूल फांकने के बाद वर्ष 2015 में दूध पैकिंग शुरू होने से प्लांट में घी पैकिंग मशीनें भी स्थापित कर दी गई। लेकिन घी पैेिकंग शुरू नहीं हुई। ऐसे में डेयरी में केवल घी निर्माण व स्टोरेज मशीन का उपयोग हो रहा था।
विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय से हाल ही में एगमार्क सर्टिफिकेट मिला है। एक कर्मचारी को भी ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। जल्द ही संघ के हिण्डौन प्लांट में घी की पैकिंग शुरू होगी।
गिर्राजप्रसाद मीणा, प्रबंध निदेशक,
सवाईमाधोपुर-करौली जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ, सवाईमाधोपुर।