करौली में शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्टेडियम पर कार्यरत पपीता मीना लॉक डाउन के बीच नियमित रूप से कैलादेवी क्षेत्र के बंड़ापुरा गांव से स्कूटी से अपनी ड्यूटी पर पहुंचती हैं। उनके चार वर्ष का पुत्र है। पपीता बताती हैं कि कोरोना से डरने की जरुरत नहीं, बल्कि सावधानी बरतने की जरुरत है। जब वे फील्ड में जाती हैं तो लोगों को स्वास्थ्य जांच के साथ इन सावधानियों से भी अवगत कराते हैं। लेकिन कई बार यह चुनौती भी आ जाती है कि बाहर से आने वालों के बारे में परिजन बताते ही नहीं है। उनकी समझाइश करने की मशक्कत करनी पड़ती है। कोरोना वायरस के खौफ को लेकर पपीता कहती हैं कि जब हम ही डरेंगे तो जनता को कैसें बचाएंगे।
करौली में कार्यरत प्रियंका सैनी भी कोरोना के खिलाफ जंग में लड़ाई लड़ रही हैं। फील्ड में कार्य में जुटी प्रियंका ससेड़ी से अपनी ड्यूटी पर आती हैं। वे कहती हैं कि यह सही है कि कोरोना वायरस खतरनाक है, लेकिन हमें इसका डटकर मुकाबला करना है। अपनी महज डेढ़ वर्षीय पुत्री को परिजनों के यहां छोड़कर जनसेवा में जुटी प्रियंका बिटिया को परिजन संभाल लेते हैं मुझे तो ऐसे वक्त में हरहाल में जनसेवा करनी है। मुझे मेरी नहीं, बल्कि जनता की फिक्र है। देश की सेवा करनी है और उसी के लिए तन-मन से काम में जुटी हूं।