कुंभकारों का कहना है कि पिछले वर्षों में मिट्टी दीपकों की बढ़ती मांग के मद्देनजर साल दर साल बिक्री तो बढ़ गई है, लेकिन मिट्टी के महंगे दामों ने उनके मुनाफे को कमजोर कर डाला है। वर्तमान में दीपावली के मद्देनजर प्रतिदिन हजारों की संख्या में दीपक बनाए जा रहे हैं।
दोगुना तक हो गए मिट्टी के दाम
यहां चटीकना मोहल्ला में चाक पर मिट्टी दीपक बनाने वाले रामखिलाड़ी प्रजापत, मोहन प्रजापत, रमेश प्रजापत, जगन प्रजापत, विष्णु प्रजापत आदि बताते हैं कि दीपावली पर मिट्टी दीपकों की बढ़ती मांग के मद्देनजर एक माह पहले से दीपक बनाना शुरू कर दिया है। कुंभकारों के अनुसार दीपकों की प्रतिवर्ष मांग तो बढ़ रही है, लेकिन साल दर साल मिट्टी पर भी महंगाई की रंग चढऩे लगा है।
तीन-चार वर्ष पहले तक एक ट्रॉली मिट्टी करीब 4 हजार रुपए तक में मिल जाती थी, जिसके दाम अब बढ़कर 8 से 10 हजार रुपए तक पहुंच गए हैं। इसके विपरीत दीपकों के दाम में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है।
प्रतिस्र्पद्धा से हो रहा नुकसान
कुंभकार बताते हैं कि प्रतिस्र्पद्धा के चलते भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। मिट्टी दीयों के दाम एक जैसे नहीं हैं। प्रति सैंकड़ा के हिसाब से अलग-अलग दामों में दीपक मिल जाते हैं।
अब हाथ से नहीं बिजली से घूमता चाक
मिट्टी के दीपक बनाने पर भी आधुनिकता का रंग चढ़ा है और कुंभकारों के चाक हाथ से नहीं बल्कि इलेक्ट्रिक मशीन से घूम रहे हैं। इससे उनकी मेहनत कम होने के साथ साल दर साल मिट्टी के दीपकों की बढ़ती मांग को भी वे पूरा कर पा रहे हैं। कुंभकारों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से दीपावली पर दीपकों की मांग में बेहताशा वृद्धि हुई है।