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करौली

विकास को लेकर रहे निराश अब फिर जगा रहे नई आस, पांच वर्ष में नहीं मिला कुछ खास

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करौलीNov 10, 2018 / 05:49 pm

Dinesh sharma

karauli hindi news

विकास को लेकर रहे निराश अब फिर जगा रहे नई आस, पांच वर्ष में नहीं मिला कुछ खास

सुरेन्द्र चतुर्वेदी
करौली. जिला मुख्यालय पर बीते पांच वर्ष में ऐसा कुछ खास काम नहीं हुआ, जिसको सत्ताधारी दल की उपलब्धि या मौजूदा विधायक के संघर्ष का नतीजा मानकर करौली के मतदाता खुश हो सकें।

बावजूद इसके विकास और समस्याओं के समाधान की आस लगाकर यहां के वोटर फिर अपना जनप्रतिनिधि चुनने को तैयार हैं।
उधर उम्मीदवार बनने को सामने आए चेहरे नए तरीके से वादों का पिटारा लेकर जनता के बीच हाजिरी लगाने लगे हैं।

करौलीवासियों के लिए यह विडम्बना पूर्ण स्थिति रही है कि यहां से अमूमन प्रदेश में सत्तासीन दल के विपरीत विधायक निर्वाचित होता रहा है। बीते चुनाव में भी ऐसा ही हुआ।
आमजन का मानना है कि इसी कारण बीते पांच वर्ष में करौली इलाका एक बार फिर विकास के मामले में पिछड़ा रहा है। इसको लेकर कुछ विधायक को कोसते है तो कुछ भाजपा से नाराजगी जताते हैं।
जातिगत समीकरणों से उपजी स्थिति और विधायक रोहिणीदेवी के कामकाज को लेकर आमजन में पनपी नाराजगी के कारण विगत चुनाव में कांग्रेस के दर्शन सिंह विधायक तो निर्वाचित हो गए, लेकिन पांच वर्ष में वे करौली के लिए कुछ खास कर नहीं पाए। इसका कारण उनके शब्दों में ये ही रहा कि काम कैसे कराएं, हमारी सरकार नहीं।
हर काम में रोड़ा अटका देते हैं। ऐसे में विधायक के पास अपने काम गिनाने के लिए कोई खास उपलब्धि तो नहीं है लेकिन भाजपा सरकार को कोसने के लिए काफी कुछ मामले हैं। इसके विपरीत भाजपा के नेता करौली शहर में होकर हाइवे सड़क निर्माण, गौरवपथ, पुरात्तव व ऐतिहासिक स्थलों के जीर्णोद्धार, बिजली-पानी की समस्या के समाधान जैसे अनेक काम गिना देते हैं।
हालांकि करौली में स्वीकृत रोडवेज डिपो के बंद होने, इंजनीयरिंग तथा डिप्लोमा कॉलेजों के स्थान के अभाव में करौली में संचालित नहीं हो पाने, रेल परियोजना के काम को अटकाने, ग्रामीण इलाके में सड़कों की बदहाल स्थिति, आवागमन के साधनों की कमी जैसी समस्याओं के समाधान नहीं होने का उन पर जवाब नहीं है।
मुद्दे जो रहेंगे चुनाव में असरकारक
यूं तो करौली में मुद्दों पर आधारित चुनाव गौण रहता है और जातिगत समीकरणों से ही जीत-हार का फैसला होता रहा है। फिर भी अब लोगों में आई जागरूकता से आने वाले चुनाव में मुद्दों के भी काफी हद तक असरकारक रहने की उम्मीद की जा रही है।
इस स्थिति में करौली में रेल लाइन के काम को हेरिटेज के बहाने से धौलपुर जिले में ही रोक देने, चम्बल के पानी को पांचना-जगर बांध में पहुंचाने की योजना में प्रगति नहीं होने, गुड़ला लिफ्ट परियोजना के काम के ठप पड़े होने, करौली में डिपो का संचालन फिर से शुरू करने, चिकित्सालय की व्यवस्थाओं व सुविधाओं की बदतर स्थिति, गांवों में यातायात सुविधाओं के विस्तार, बढ़ते अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे आगामी चुनाव में बहस व चर्चा का विषय बन सकते हैं।
इनमें से अधिकांश मुद्दे पिछले चुनावों में भी सामने आए थे। जिनको लेकर प्रत्याशियों ने वायदे भी किए, लेकिन बाद में नतीजा सिफर रहा। इनमें गुड़ला लिफ्ट परियोजना के काम का ठप पड़े होने का मामला तो सीधे विधायक के समर्थित मतदाताओं से जुड़ा है, जिसको लेकर भी विधायक कभी संघर्ष की भूमिका में नहीं दिखे। वैसे इसको लेकर उस इलाके के मतदाताओं में नाराजगी भी नहीं है। वो कहते हैं कि सरकार ही नहीं थी वो (दर्शन) क्या करता।
जनता के ये हैं मुद्दे
धौलुपर-गंगापुरसिटी वाया करौली स्वीकृत रेल लाइन का कार्य शीघ्र प्रारंभ कर पूरा कराया जाए।
करौली में 300 पलंगों का हॉस्पीटल हो और मेडिकल कॉलेज खुले, जिससे चिकित्सा सुविधा मिल सके। महिला चिकित्सालय की भी दरकार।
करौली में रोडवेज डिपो का फिर से हो संचालन।
पर्यटन को मिले बढ़ावा, पर्यटन कार्यालय की स्थापना हो।
करौली में 220 केवी विद्युत ग्रिड स्टेशन की स्थापना,
मासलपुर में 132 केवी ग्रिड स्टेशन स्थापित हों।
सैण्ड स्टोन के खनन कार्य में मजदूर व खनन हितेषी नीति बने और मासलपुर में स्टोन मार्ट शीघ्र बनकर तैयार हो।
ये किए वादे
गुड़ला-लिफ्ट परियोजना रही अधूरी।
ग्रामीण इलाकों में पेयजल का नहीं समाधान।
खनन व्यवसाय को नहीं मिला बढ़ावा
ग्रामीण क्षेत्र में सड़कों की नहीं सुधरी दशा।
प्रमुख समस्याएं
अस्पतालों में चिकित्सकों के पद रिक्त
गांवों में जर्जर हाल सड़क-पेयजल का टोटा
ग्रामीण इलाके में यातायात के साधनों का टोटा
सादगी से सहानुभूति, शिथिलता रही साथ
विधायक दर्शन सिंह की खासियत यह है कि लोग आज की राजनीति के लिहाज से उनको सीधा नेता मानते हैं। इस कारण लोगों की उनसे सहानुभूति रही है।

वह पांच वर्ष तक आमजन के लिए सहज-सुलभ उपलब्ध रहने के साथ क्षेत्र में सक्रिय रहे। समय-समय पर सार्वजनिक आयोजनों और सरकारी बैठकों में उनकी भागीदारी रही।
इसको उनका सकारात्मक पक्ष माना जाता है। समस्याओं के समाधान को लेकर संघर्ष करने में पीछे रहना, विकास में माकूल पैरवी नहीं करना, विपक्ष की भूमिका निभाने में नाकाम रहना उनके नेगेटिव पॉइट हैं।
नहीं रहीं सक्रिय
भाजपा प्रत्याशी रोहिणीदेवी ने बीते पांच वर्ष में आमजन से दूर बना ली। कार्यक्रमों में उनकी आवाजाही काफी सीमित रही।

संगठन की गतिविधियों और कार्यक्रमों से उनकी गैर-मौजूदगी कार्यकर्ताओं को काफी अखरती रही है। जिलाध्यक्ष के चुनाव के बाद से तो संगठन से उनकी नाराजगी जग जाहिर हुई। हालांकि मुख्यमंत्री के करौली आगमन पर वो उनके साथ दिखी।
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