यूं तो दीपावली पर बाजार में बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रकार की मिठाई तैयार करके बेची जाती हैं, लेकिन शहर के चटीकना मोहल्ले में जाटव समाज दीपावली पर अपने परिवार के लिए सामूहिक रूप से मिठाई तैयार कराता है।
वृहद स्तर पर मिठाईयों को तैयार होते देख एक बार तो लोग यही समझते हैं कि शायद दीपावली पर दुकानों पर बिकने के लिए मिठाई तैयार की जा रही है, लेकिन जब पता चलता है कि यह मिठाई किसी दुकान के लिए नहीं, बल्कि समाज विशेष के परिवारों के लिएबन रही है तो वे चौंक जाते हैं।
यह मिठाई चटीकना स्थित जाटव धर्मशाला में तैयार हो रही है। समाज के लोगों के अनुसार इसके पीछे उनकी मंशा शुद्धता और सामाजिक सौहाद्र्र की है। 10 क्विंटल तैयार हो रही मिठाई
इस बार करीब 10 क्विंटल मिठाई 100 परिवारों को तैयार की जा रही है। इसके लिए सभी परिवारों से अग्रिम राशि भी ली गई है।
इस बार करीब 10 क्विंटल मिठाई 100 परिवारों को तैयार की जा रही है। इसके लिए सभी परिवारों से अग्रिम राशि भी ली गई है।
समाज के हीरालाल चौधरी की देखरेख में शनिवार से हलवाइयों ने मिठाई बनाना शुरू कियाहै। इनमें गुलाब जामुन, काला जामुन, मेवावाटी, मक्खन बड़े, खीर मोहन, मोतीचूर के बारीक दाने के लड्डू, दूध के लड्डू सहित दस प्रकार की मिठाई शामिल हैं। सभी मिठाई शुद्ध घी से तैयार की जा रही हैं। इन मिठाइयों को तोल-तोल कर पैकिटों में रखा जाएगा।
सम्बंधित परिवार के सदस्य खुद धर्मशाला से अपने पैकिटों को ले जाएंगे। हीरालाल चौधरी के अनुसार 10 किलो मिठाई की लागत लगभग दो हजार रुपए आती है। एक दशक से चल रहा सिलसिला
सामूहिक रूप से मिठाई बनाने का ये सिलसिला लगभग एक दशक से चल रहा है। समाज के हीरालाल चौधरी बताते हैं कि दीपावली पर मिलावट की मिठाई से सेहत के लिए नुकसान की आशंका रहती है। बाजार के मुकाबले में ये सस्ती भी होती है। ऐसे में समाज के लोग एक साथ मिठाई बनवाते हैं। पहले शुरुआत छोटे स्तर से हुई जिसने बढ़ते- बढ़ते अब वृहद रूप ले लिया है।
सामूहिक रूप से मिठाई बनाने का ये सिलसिला लगभग एक दशक से चल रहा है। समाज के हीरालाल चौधरी बताते हैं कि दीपावली पर मिलावट की मिठाई से सेहत के लिए नुकसान की आशंका रहती है। बाजार के मुकाबले में ये सस्ती भी होती है। ऐसे में समाज के लोग एक साथ मिठाई बनवाते हैं। पहले शुरुआत छोटे स्तर से हुई जिसने बढ़ते- बढ़ते अब वृहद रूप ले लिया है।