script200 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए बाड़े और आशियाने, खेती भी लगे करने | Encroachment on 200 bighas of forest land, enclosures and houses | Patrika News
करौली

200 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए बाड़े और आशियाने, खेती भी लगे करने

200 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए बाड़े और आशियाने, खेती भी लगे करने
वन विभाग उदासीन, ग्रामीणों ने भेजा शिकायती ज्ञापन,करौली जिले में गुढ़ाचन्द्रजी के अंतिम छोर पर पहाड़ी पर बसे गढ़मोरा पंचायत के धौलादाता गांव में दो दर्जन प्रभावशाली लोगों ने वन विभाग की लगभग 200 बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। इन अतिक्रमियों ने इस भूमि पर अपने मकान, मवेशी के बाड़े और खेत बनाए हैं। इससे एक ओर तो सरकारी भूमि पर कब्जा हुआ है तो दूसरी ओर इलाक की मवेशी को चारे का भी संकट खड़ा हो गया है।

करौलीJan 24, 2022 / 12:05 pm

Surendra

200 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए बाड़े और आशियाने, खेती भी लगे करने

200 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए बाड़े और आशियाने, खेती भी लगे करने

200 बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए बाड़े और आशियाने, खेती भी लगे करने


वन विभाग उदासीन, ग्रामीणों ने भेजा शिकायती ज्ञापन,
करौली जिले में गुढ़ाचन्द्रजी के अंतिम छोर पर पहाड़ी पर बसे गढ़मोरा पंचायत के धौलादाता गांव में दो दर्जन प्रभावशाली लोगों ने वन विभाग की लगभग 200 बीघा भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। इन अतिक्रमियों ने इस भूमि पर अपने मकान, मवेशी के बाड़े और खेत बनाए हैं। इससे एक ओर तो सरकारी भूमि पर कब्जा हुआ है तो दूसरी ओर इलाक की मवेशी को चारे का भी संकट खड़ा हो गया है। इस संबंध में ग्रामीणों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज वनभूमि से अतिक्रमण हटवाने की मांग की है। ज्ञापन में लोगों ने बताया कि गांव में नीम की कूंट से चुरका का बाड़ा तक करीब 230 बीघा भूमि पर कुछ प्रभावशालियों ने अतिक्रमण करके मवेशियों के लिए बाड़े बनाए हैं और लोगों ने कच्चे व पक्के मकानों का निर्माण भी कर लिया है। कई लोग खेत बनाकर फ सल भी कर रहे हैं । अतिक्रमण से वन विभाग की भूमि सिकुड़ गई है। इतना ही नहीं इस भूमि में तलाई भी बनी हुई है, जिसकी भी लोगों ने चारदीवारी कर दी है। खास बात यह है कि इस पहाड़ी पर हजारों की संख्या में गौवंश विचरण करता है। भूमि पर अतिक्रमण से गौवंश सहित अन्य मवेशी के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। वनभूमि में सैकड़ों हरे-भरे वृक्षों पर भी लोग कुल्हाडी मार रहे हैं। इससे कई पेडï ठूंठ नजर आने लगे हैं। लोगों का आरोप है कि कई बार वन विभाग तथा प्रशासन के अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराने पर अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई नहीं की गई है।
दो वर्ष पहले भी हटाए थे

वन विभाग के अधिकारी इस अतिक्रमण को लेकर पूरी तरह से उदासीन बने हैं। गौरतलब है कि दो वर्ष पहले वन विभाग ने प्रभावशाली लोगों का अतिक्रमण हटवाया था। लेकिन उन्होंने अपना प्रभाव दिखाते हुए फिर से अतिक्रमण कर लिया है। अब वनविभाग आंख मूंदकर बैठा हुआ है।
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