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राजस्थान के करौली में नवजात कन्याओं की मौतों के बढ़ रहे आंकड़े, अफसरों के माथे पर चिंता की लकीर

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करौलीSep 20, 2018 / 10:42 pm

vinod sharma

Even in other areas, the life of newborn girls is not safe.

राजस्थान के करौली में नवजात कन्याओं की मौतों के बढ़ रहे आंकड़े, अफसरों के माथे पर चिंता की लकीर

करौली. जिले में केवल श्रीमहावीरजी क्षेत्र ही नहीं है जहां तीन माह में ग्यारह नवजात कन्याओं की मौत हुई हैं। अन्य इलाकों में भी नवजात कन्याओं का जीवन सुरक्षित नहीं रहा है। श्रीमहावीरजी इलाके के दो गांवों में नवजात कन्याओं की मौत के कारणों का खुलासा अभी हो नहीं पाया है कि इसी बीच करौली-हिण्डौन सिटी के शहरी क्षेत्र में भी पांच माह के दौरान ३७ कन्याओं की मौत का तथ्य सामने आया है।
आंकड़ों के अनुसार जिले में अप्रेल से अगस्त तक की अवधि में २९० नवजात बच्चों की मौत हुई है। इनमें कन्याओं की संख्या १६८ बताई गईहै। अधिकारी इस तथ्य को लेकर सकते में हैं कि इलाके में कन्या मौत अधिक क्यों हो रही हैं।
गौरतलब है कि श्रीमहावीरजी एरिया के दो गांवों में तीन माह में 11 नवजात कन्याओं के दम तोडऩे का समाचार राजस्थान पत्रिका में 14 सितम्बर को प्रकाशित हुआ। इसके बाद संभागीय आयुक्त भरतपुर सुबीर कुमार व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक नवीन जैन के आदेश पर विभाग के अफसरों ने जांच शुरू की। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के हैल्थ एवं शिशु निदेशक रोमिल सिंह के नेतृत्व में गठित टीम ने सॉफ्टवेयर पीसीटीएस (परसेण्टाइल चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम) के आंकड़ों की समीक्षा की तथा क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान खुलासा हुआ कि जिला अस्पताल करौली, सब डिवीजन अस्पताल हिण्डौन सिटी, नारौली डांग , बालघाट आदि में जन्मी नवजात कन्याओं ने भी काफी संख्या में दम तोड़ा।
शहरों में हो रहीं मौत
ऐसा नहीं कि मौतों की संख्या केवल ग्रामीण इलाके में हों। शहरी क्षेत्र में भी नवजात की मौत होना अनेक सवाल खड़े कर रहा है। करौली के राजकीय अस्पताल में अप्रेल से अगस्त माह के बीच ४८ नवजात बालक-बालिकाओं की मौत होना सरकारी सूचनाओं में अंकित है। इनमें २७ बेटी तथा 21 बालक शामिल हैं। इसी प्रकार हिण्डौन सिटी में भी नवजातों की मौत में कन्याओं की मृत्यु अधिक संख्या में सामने आने से जाहिर हो रहा है कि कन्याओं के संरक्षण में कहीं न कहीं लापरवाही दिखाई जा रही है। हिण्डौन के अस्पताल में जन्म लेने बच्चों में से १७ नवजात कन्याओं ने दम तोड़ा जबकि दो बालकों की मौत हुई। विभाग के सॉफ्टवेयर में यह आंकड़े पकड़ में आने पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम करौली-हिण्डौन सिटी अस्पताल के नवजात कन्याओं की अधिक मौत होने के कारणों की तलाश में जुट गई है।
सूत्रों ने बताया कि झारेडा में १३ नवजातों में से ८ कन्या, महूइब्राहिमपुर 11 में से 8 कन्या, करौली के परीता में ५ में से ४ कन्या, सपोटरा के नारौली डांग में ७ बालिकाओं ने दम तोड़ा है। टोडाभीम ब्लॉक के बालघाट स्वास्थ्य केन्द्र के अधीन गांवों की स्थिति भी खराब है। इस केन्द्र के अधीन आठ नवजातों की मौतों में सात नवजात कन्याओं की मौत हुई है। आरोप लगाएजा रहे हैं कि सॉफ्टवेयर में बालिकाओ ंकी मौत के मामले दर्ज होने के बाद भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने अपनी मॉनीटरिंग को प्रभावी नहीं किया है। इससे बालिकाओं की होने वाली मौतों पर अंकुश नहीं लग रहा है।
पीसीटीएस सॉफ्टवेयर में दर्ज मौतों के आंकड़े ब्लॉक के हिसाब से
ब्लॉक मौतों केआंकड़े बालक कन्या
हिण्डौन सिटी १०१ ३७ ६४
करौली ४३ २० २३
सपोटरा ३३ १४ १९
टोडाभीम २९ ०६ २३
जिला अस्पताल ४८ २१ २७
सभी तथ्यों की कर रहे हैं जांच
नवजात कन्याओं की मौत के मामले की जांच में बहुत से तथ्य सामने आ रहे हैं। इन तथ्यों की जांच की जा रही है। पीसीटीएस सॉफ्टवेटर के आंकड़ों की जांच की जांच जा रही है।
डॉ. हरफूल मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी करौली

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