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करौली

हर बार बदलता है भरोसी पर से भरोसा, हिण्डौन विधानसभा सीट पर संयोग

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करौलीOct 07, 2018 / 11:33 am

Dinesh sharma

karauli news

हर बार बदलता है भरोसी पर से भरोसा, हिण्डौन विधानसभा सीट पर संयोग

करौली. हिण्डौन सीट पर बीते आठ चुनाव से अनूठा संयोग बना हुआ है। यहां से एक बार भरोसी जाटव जीतते हैं तो दूसरी बार उनकी हार हो जाती है।

वर्ष 2008 के कांग्रेस शासन में राज्यमंत्री रहे भरोसी लाल जाटव सन् 1980 से लगातार विधायक के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। वो अब तक आठ चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें 4 बार उनकी जीत हुई तो 4 बाप पराजय। इस बीच उन्होंने दलों की अदला-बदली भी की।
फिलहाल वो कांग्रेस में प्रदेश पदाधिकारी हैं और नवीं बार फिर लडऩे के लिए कांग्रेस टिकट लेने को लाइन में लगे हैं। सबसे पहले भरोसी लाल ने वर्ष 1980 में लोकदल पार्टी से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के परशुराम राजौरा को पराजित कर विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद से उनके साथ यह संयोग है कि वो एक चुनाव जीतने के बाद अगला चुनाव हार जाते हैं।
वर्ष पार्टी परिणाम
1980 लोकदल विजयी
1985 दलित मजदूर किसान पार्टी पराजय
1990 जनता दल विजयी
1993 जनता दल पराजय
1998 कांग्रेस विजयी
2003 कांग्रेस पराजय
2008 कांग्रेस विजयी
2013 कांग्रेस पराजय

आचार संहिता की कराएं पालना
जिला निर्वाचन अधिकारी अभिमन्यु ने जिले के अधिकारी-कर्मचारियों को आचार संहिता की पालना सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिले के अधिकारी-कर्मचारियों को आचार संहिता को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं।
फसल खराबे से किसानों की हालत खस्ता
गोठरा. बारिश व रोग से खराब हुई फसल से किसानों की हालत खराब हो गई है। सपोटरा के पहाडपुरा गांव के किसान ओमप्रकाश पुत्र सीताराम मीना व अन्य किसानों ने खराबे की स्थिति से अवगत कराया। ओमप्रकाश ने बताया कि तिलहल को रोग ने व बाजरे को बारिश ने खराब कर दिया है। जीवनयापन का खेती ही एक सहारा है, लेकिन इस बार प्रकृति के कोप ने इस सहारे को भी छीन लिया अब रोटी के लाल पड़ गए हैं। आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। मुआवजे के लिए कई बार प्रशासन सरकार को अवगत कराया, लेकिन फिलहाल मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। यदि सरकार किसानों को मुआवजा उपलब्ध नही करती है तो क्षेत्र के किसानों को काफी परेशानी होगी। कृषि से होने वाली आय से किसान सालभर का खर्चा चलाते थे, लेकिन अब खेती नष्ट होने से आय का कोई स्रोत नहीं बचा है। इधर पशुओं के लिए चारे का संकट भी खड़ा हो गया है।

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