दरअसल साल 1991 में शहर में यातायात के अधिक दबाव को देखते हुए सरकार ने करोड़ों रुपए का मुआवजा देकर करौली-महवा बायपास के लिए भूमि अधिग्रहण किया था। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने बायपास पर टू-लेन आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) के निर्माण करने का प्लान तैयार किया था। तब से ही लोग ब्रिज के पूरा होने की बाट जोह रहे हैं। उल्लेखनीय है कि रेलवे क्षेत्र में काम करने की अनुमति नहीं मिलने, रेलवे के जबलपुर जोन मुयालय में ड्राइंग फेल होने पर फिर से डिजाइन तैयार करने तथा फाउंडेशन के लिए बनाई जाने वाली पाइल का नमूना फेल होने के कारण आरओबी निर्माण में देरी की मुख्य वजहें रहीं। आरओबी निर्माण में देरी पर पीआरएल कंपनी पर आरएसआरडीसी द्वारा पूर्व में 10 प्रतिशत राशि की पेनेल्टी भी लगाई गई थी।
सूत्रों के अनुसार करौली-महवा बायपास पर 800 मीटर लंबा और 10 मीटर चौड़ा आरओबी निर्माण हो रहा है। इसके लिए वर्ष 2015 में 31 करोड़ 35 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। इसके बाद कार्यकारी एजेंसी राजस्थान स्टेट रोड डवलपमेन्ट्स कॉर्पोरेशन (आरएसआरडीसी) द्वारा दिल्ली की पीआरएल कंपनी को निविदा जारी की गई। जुलाई 2015 में आरओबी का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। वर्ष 2017 में निर्माण कार्य पूरा होना था।
आरएसआरडीसी के अभियंताओं के अनुसार 31 करोड़ 35 लाख रुपए से बन रहा आरओबी का करीब 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। जिसके एवज में संवेदक को लगभग 15 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है। रेलवे ट्रैक के दोनों ओर रेम्प का कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन रेलवे सीमा में तैयार फाउंडेशन पर गर्डर डालने का कार्य अटका हुआ है। ओवरब्रिज बनने के बाद करोड़ों की लागत के बायपास का उपयोग हो सकेगा। महवा मार्ग के 220 केवी बिजली स्टेशन से, मंडी यार्ड के सामने होकर मंडावरा मार्ग, झारेड़ा मार्ग, सिकरौदा मार्ग होते हुए राजकीय कॉलेज के पीछे से करौली मार्ग तक जाने वाले बायपास मार्ग से शहरी क्षेत्र को भारी वाहनों एवं शहर में नहीं रुकने वाले यात्री वाहनों से निजात मिल सकेगी।
बायपास के निर्माणाधीन आरओबी को गति देने के लिए रेलवे और आरएसआरडीसी के अभियंताओं से समन्वय स्थापित किया गया। इसी का नतीजा है कि आरओबी निर्माण ने गति पकड़ ली है। सोनीपत में पांच गर्डर बनकर तैयार हो चुकी हैं। 30 मई को रेलवे अधिकारी व आरएसआरडीसी अभियंता सोनीपत पहुंचकर उनकी जांच करेंगे।- अनूप सिंह, एसडीएम, हिण्डौनसिटी।