नगर परिषद और प्रशासन की ओर से प्रतिबंधित पॉलीथीन का उपयोग रोकने के लिए अभियान में चलाया जाता है, लेकिन इसका भी कोई विशेष असर नजर नहीं आता। यही कारण है कि पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा पॉलीथीन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।
पॉलीथीन का खेत बना तालाब
नगर परिषद की ओर से जाट का तालाब के पास कचरा संग्रहण स्थल बनाया हुआ है। परिषद की ओर से कचरा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं करने एवं कचरा संग्रहण स्थल की चारदीवारी नहीं किए जाने से हर दिन शहर से ले जाए जा रहे हजारों क्ंिवटल कचरे में से अंधड़ और तेज हवा के साथ उडकऱ पॉलीथीन तालाब की पाल और पेटे में काफी दूर तक जमा हो गया। हालात ये हो गए हैं कि आसपास के खेतों में भी काफी दूर तक पॉलीथीन ही दिखाई देता है।
तालाब की पाल एवं आसपास सूखे पेड़ों की टहनियों पर तेज हवा के साथ पॉलीथीन ऐसे अटक गई है। खास बात यह है कि बारिश के दिनों में तालाब में पानी आने पर पाल और पेटे में जमा पॉलीथीन पर्यावरण प्रदूषण का बड़ा कारण बनेगा, जिसके प्रति प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
रैकिंग की यह है स्थिति
उपजिला प्रशासन के आह्मन पर 13 जनवरी को भले ही शहरवासियों ने स्वच्छता के प्रति अलख जगाई और सामूहिक रूप से सफाई कार्य किया था। इसके बाद भी स्वच्छता रैंक में हिण्डौन शहर पिछड़ गया है। प्र्रदेश के 29 अमृत शहरों में हिण्डौन को 26वां स्थान मिला है।
नगर परिषद की स्वच्छता अभियान प्रभारी एईएन निशा जिंदल ने बताया कि स्वच्छता सर्वे में उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं मिलने का प्रमुख कारण गीले और कचरे का अलग-अलग संग्रहण नहीं होने, कचरा निस्तारण की व्यवस्था नहीं होने एवं पॉलीथीन पर प्रतिबंध नहीं लगना अहम रहा है। स्वच्छता रैंक सुधारने के लिए इन कार्यों को बेहतर बनाने के साथ आमजन को भी जागरूक किया जाएगा।