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करौली

कहीं देरी से पहुंचा तो कहीं डिस्पोजल में बांटा दूध

पहले दिन ही डगमगाई अन्नपूर्णा दूध योजना

करौलीJul 02, 2018 / 04:34 pm

Dinesh sharma

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हिण्डौनसिटी. कोटरी के आगिर्रीकापुरा के राजकीय प्राथमिक स्कूल में प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलासों में दूध पीते बच्चे।

हिण्डौनसिटी. सरकारी स्कूलों में नामांकन वृद्धि के साथ विद्यार्थियों के पोषण स्तर में सुधार की खातिर सोमवार से शुरू हुई अन्नपूर्णा दूध योजना की चाल उद्घाटन के साथ ही बिगड़ती नजर आई। पहले दिन ही कहीं समय पर दूध नहीं पहुंचा, तो कहीं 10.30 बजे तक बच्चे दूध का इंतजार करते रहे। फीका होने से कई स्कूलों में बच्चों ने दूध पीने से ही इंकार कर दिया तो कहीं बच्चों की कम उपस्थिति के चलते दूध बच गया। कई स्कूलों में स्टील के गिलास नहीं पहुंचने से डिस्पोजल गिलासों में दूध दिया गया।
पत्रिका टीम ने मिड डे मील योजना के तहत शुरू हुई अन्नपूर्णा दूध योजना की क्रियान्विति को लेकर सोमवार को सुबह विभिन्न स्कूलों में पड़ताल की। वैसे तो प्रार्थना सभा के तत्काल बाद 8.30 बजे बच्चों को दूध दिया जाना था, लेकिन कई जगह 11 बजे तक बच्चों को दूध मिल सका। ग्रामीण इलाके ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र के नई मण्डी के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में 50 बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था थी, लेकिन 9.30 बजे तक तो चूल्हे पर दूध ही गर्म होता नजर आया। वहीं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, झण्डूपुरा में बच्चों ने फीका होने की शिकायत करते हुए कई बच्चों ने दूध ही नहीं पिया।
कमोबेश यही स्थिति राजकीय प्राथमिक विद्यालय पट्टीनारायणपुर की रही, जहां महज 10-15 बच्चे ही स्कूल पहुंचे। संस्था प्रधान ने बताया कि 50 बच्चों के हिसाब से दूध मंगाया, लेकिन बच्चे नहीं आए। ऐसे में अब शेष दूध का क्या करें। इसी प्रकार की स्थिति राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय क्यारदाखुर्द की नजर आई, जहां 10.30 बजे तक तो दूध गर्म ही हो रहा था।
प्लास्टिक गिलास में दिया दूध
कोटरी क्षेत्र के आगरियानकापुरा की जाटव बस्ती के राजकीय प्राथमिक स्कूल में स्टील के गिलास नहीं होने पर प्लास्टिक के डिस्पोजल गिलासों में दूध वितरण किया। प्रधानाध्यापक शिवसिंह जाटव ने बताया कि बाजार से स्टील के गिलास ही नहीं मिल सके। कोटरा ढहर के राजकीय प्राथमिक स्कूल में देरी से दूध पहुंचने पर साढ़े नौ बजे तक विद्यालय के शिक्षक दूध गर्म करने के बाद उसे ठंडा करने में जुटे रहे। उसके बाद ही महिला वार्ड पंच को बुलाकर दूध वितरण शुरू कराया।
भामाशाहों से मिली चीनी
कोटरी के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल के प्रधानाचार्य नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि भामाशाह एवं स्टाफ के सहयोग से चीनी की व्यवस्था की है। फीका होने से कुछ दूध बच गया। बच्चों को मीठा दूध मिले, इसके लिए भामाशाह-स्टाफ ने चीनी के लिए आर्थिक सहयोग दिया है। इसी प्रकार भंगों के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल के प्रधानाचार्य ओंकार लाल शर्मा ने बताया कि वे स्टाफ के सहयोग से बच्चों को चीनी की व्यवस्था कराएंगे, ताकि बच्चों को मीठा दूध मिल सके।
दूध के लिए 15 किलोमीटर की दौड़
भंगों गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में दूध के लिए 15 किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ी। प्रधानाचार्य औंकार लाल शर्मा ने बताया कि विद्यालय डांग क्षेत्र में होने से डेयरी संचालक ने दूध पहुंचाने से मना कर दिया। ऐसे में अध्यापक को हिण्डौन भेज दूध मंगाया। उसके बाद गर्म कर करीब 10.30 बजे तक वितरण किया। गांव फैलीकापुरा के राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल में सुबह साढ़े नौ बजे दूध पहुंचने के बाद उसे गर्म कर वितरित किया। शिक्षिका ममता पाठक ने बताया कि प्रार्थना सभा के समय दूध नहीं पहुंच सका। साढ़े नौ बजे दूध लेकर पहुंचा सप्लायर जल्दीबाजी में जमीन पर ही दूध की थैलियां पटककर चला गया। ऊंचेकापुरा के राजकीय स्कूल के संस्था प्रधान गजेन्द्र सिंह सोलंकी ने बताया कि उन्हें फुलवाड़ा के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल से दूध लाना पड़ा।
दूध बांटने में बीता पढ़ाई का आधा समय
दूध योजना के पहले दिन ही शिक्षण व्यवस्था भी डगमगा गई। शिक्षक दूध वितरण व्यवस्था में जुटे रहे तो पढ़ाई बाधित हुई। स्कूलों में प्रार्थना सभा के बाद पहला पीरियड सुबह साढ़े आठ बजे शुरू हो जाता है, लेकिन अधिकांश स्कूलों में दूध वितरण में ही 10 बज गए। कुछ देर बाद विश्राम का समय हुआ तो बच्चों को मिड-डे-मील में भोजन दे दिया गया। ऐसे में स्कूलों में पढाई बाधित रही। कुछ शिक्षकों का कहना रहा कि दूध वितरण वाले दिन पहले पीरियड का समय तो दूध बांटने में ही बीत जाएगा।
खुश नजर आए बच्चे
डांग क्षेत्र के कोटरा ढहर गांव की जाटव बस्ती के राजकीय प्राथमिक स्कूल में कई बच्चे दूध पीकर खुश नजर आए। बच्चों को जब अध्यापक ने दूध का गिलास दिया तो कई बच्चों के चेहरों पर मुस्कराहट आ गई। जाटव बस्ती की महिला वार्ड पंच ने बताया कि सरकार की इस योजना से बच्चों को दूध तो मिल जाएगा।


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