प्रधानाचार्य रहीमुद्दीन खान ने बताया कि वर्तमान स्कूल भवन में कक्षा कक्षों का अभाव है। वहीं 6 कमरों की स्थिति भी अच्छी नहीं होने से बारिश में पानी आ जाता है। इससे विद्यार्थियों को परेशानी होने के साथ पढ़ाई बाधित होती है। ऐसे में मजबूरी में कक्षाओं को खुले मं चलाना पड़ता है।
इस समस्या के समाधान के लिए पिछले दिनों ग्रामीणों की बैठक में विद्यालय के पीछे स्थित 17 एयर भूमि को खरीदने का निर्णय हुआ। इसमें एक भामाशाह ने तीन एयर भूमि दान दी। इसके बाद जनसहयोग एकत्रित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया। जिसके द्वारा प्रत्येक घर से भूमि क्रय करने को राशि एकत्रित की जा रही है।
प्रधानाचार्य ने बताया कि सोमवार को भी विद्यालय परिसर में कमेटी की बैठक हुई, जिसमें खेत मालिक को 6 लाख 51 हजार रुपए का भुगतान किया गया, जबकि अब तक करीब 10 लाख रुपए जनसहयोग से प्राप्त हुए हैं। शिक्षा मंदिर को संवारने की इस मुहिम में आमजन के साथ विद्यालय स्टाफ भी जुटा हुआ है।
प्रधानाचार्य ने बताया कि भूमि उपलब्ध होने के बाद नक्शा आदि तैयार कराकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जाएगा। जिससे भवन निर्माण के लिए रमसा के बजट से कार्य शुरू हो सकेगा। शिक्षकों ने किया तहसील में प्रदर्शन
हिण्डौनसिटी. आरक्षित वर्ग के लोगों की सीधी भर्ती व पदोन्नति में विशेष भर्ती अभियान चलाकर बैकलॉग पूर्ण करने समेत 19 सूत्रीय मांगों को लेकर शिक्षकों ने सोमवार को राजस्थान शिक्षक संघ (अम्बेडकर) के प्रदेश उपाध्यक्ष नेमीचंद जाटव के नेतृत्व में सोमवार शाम तहसील परिसर में प्रदर्शन किया। साथ ही एसडीओ सुरेशचंद बुनकर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप समस्या समाधान की मांग की।
ब्लॉक अध्यक्ष राकेश कुमार जगरिया ने बताया कि ज्ञापन के जरिए जॉन ऑफ कन्सीड्रेशन की सात गुणा सीमा को समाप्त करने, स्कूटी वितरण योजना में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक वर्ग की छात्राओं को शामिल करने, नवीन अंशदायी पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी योजना लागू करने, निशुल्क दवा योजना में राज्यकर्मियों की आरपीएमएफ कटौती बंद करने, माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य हिंदी व अंग्रेजी विषय के व्याख्याताओं के पद सृजित करने, रामावि व राउमावि में तृतीय श्रेणी अंग्रेजी लेबल द्वितीय के रिक्त सात हजार पदों पर भर्ती करने, बकाया छात्रवृति स्वीकृत करने, विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती करने की मांग की गई है।
उन्होंने बताया कि अगर जल्द ही मांगों पर विचार नहीं किया तो शिक्षकों को सरकार के खिलाफ लामबंद होना पड़ेगा। इस दौरान राकेश कुमार, रामप्रसाद, हरिमोहन, लाखनसिंह आदि मौजूद थे।