लू के थपेटों के बीच पेड़ के नीचे करौली के संस्कृत स्कूल में पढ़ाई
लू के थपेटों के बीच पेड़ के नीचे करौली के संस्कृत स्कूल में पढ़ाई
करौली.सरकार राजकीय स्कूलों की दशा सुधारने के नाम पर पानी की तरह पैसा बहाने का दावा करती है। लेकिन करौली जिला मुख्यालय का राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूल सरकार के दावों की पोल खोल रहा है। 12वीं तक के इस स्कूल की कक्षाएं भवन के अभाव के भवन में पेड़ के नीचे संचालित है। इसके अलावा एक कक्षा-कक्ष में चार-पांच क्लास लगती है। रियासतकाल से करौली की पुरानी नगरपालिका के पास संचालित संस्कृत स्कूल को पुलिस लाइन के पास बने नए भवन में २०१६ में ट्रान्सफर किया गया। स्कूल में कक्षा एक से 12वी ंतक की क्लास लगती है। लेकिन मापदण्ड़ों के हिसाब से एक मात्र कक्षा कक्ष है। जिसमें एक से पांच तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। पांचों कक्षाओं के विद्यार्थी ठसाठस बैठकर पढ़ाई करते हैं। इसके अलावा शेष कक्षाओं को बरामदे, कम्प्यूटर कक्ष में पढ़ाई कराई जाती है। जगह के अभाव में क्लास लेने वाले अध्यापक को खड़े रहने में परेशानी तक होती है।
बारिश के समय पढ़ाई बंद
स्कूल में दसवीं क्लास की पढ़ाई परिसर में पेड़ के नीचे होती है। इस कारण विद्यार्थियों को लू के थपेड़ों के बीच अध्ययन करना पड़ रहा है। सर्दी के मौसम में भी विद्यार्थी धूप में बैठ जाते हैं। लेकिन बारिश के समय परेशानी हो जाती है। क्योंकि बारिश की वजह से पेड़ के नीचे पढ़ाई नहीं हो पाती है। छात्र-छात्राओं को बिना पढ़े ही स्कूल से लौटना पड़ता है। राजस्थान पत्रिका ने सोमवार को संस्कृत स्कूल का जायजा लिया , तब एक अध्यापक पेड़ के नीचे विद्यार्थियों को पढ़ा रहा था।
एक कक्ष में प्रधानाचार्य और रसोई घर
जगह के अभाव में हालात ये है कि विज्ञान प्रयोगशाला (दसवीं तक) के बड़े कमरे में प्रधानाचार्य का कार्यालय है। जिसमें स्कूल के कार्य का निपटारा किया जाता है। इसी कमरे में दो लिपिक बैठते हैं तथा दूसरे हिस्से में मिड डे मील का रसोई घर है। सुबह के समय पोषाहार पकाने वाली महिला भोजन तैयार करती है, तब प्रधानाचार्य सहित स्टॉफ के सदस्य कमरे से बाहर बरामदे में बैठ जाते हैं। प्रधानाचार्य ने बताया कि रसोई घर तैयार कराने के बारे में अधिकारियों से अनेकों बार मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई है।
जमीन का नहीं टोटा
स्कूल परिसर में कक्षा-कक्षों का जरूर अभाव है। लेकिन जमीन का टोटा नहीं है। स्कूल के लिए ८ बीघा जमीन आवंटित है। जिसमें विज्ञान प्रयोगशाला, कम्प्यूटर कक्ष सहित एक एक कक्षा-कक्ष है। स्कूल के प्रधानाचार्य मधौरीलाल मीना ने बताया कि भवन निर्माण कराने के प्रस्ताव संस्कृत शिक्षा कार्यालय जयपुर भेजे गए। लेकिन वहां से भवन निर्माण कराने के बारे में किसी भी प्रकार का जवाब नहीं मिला है। इस कारण भवन के अभाव में स्कूल संचालन तथा अध्यययन कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।