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माड़ क्षेत्र में पानी को तरस रहे लोग

locationकरौलीPublished: Oct 20, 2019 12:29:20 pm

Submitted by:

Jitendra

गुढ़ाचन्द्रजी.माड़ क्षेत्र में गर्मियों में पानी का संकट झेल चुके ग्रामीणों को सर्दी के मौसम में भी राहत की संभावना कम ही नजर आ रही है। मानसून के बाद भी माड़ क्षेत्र में पानी की कमी से लोगों की प्यास नहीं बुझ रही है। इसका मुख्य कारण है कि धरा का जलस्तर तेजी से घटता जा रहा है।

माड़ क्षेत्र में पानी को तरस रहे लोग

गुढ़ाचन्द्रजी. पानी के लिए एक किसान द्वारा खुदवाया जा रहा नलकूप।

सैकड़ों फीट तक भी नहीं मिल रहा पानी
गुढ़ाचन्द्रजी.
माड़ क्षेत्र में गर्मियों में पानी का संकट झेल चुके ग्रामीणों को सर्दी के मौसम में भी राहत की संभावना कम ही नजर आ रही है। मानसून के बाद भी माड़ क्षेत्र में पानी की कमी से लोगों की प्यास नहीं बुझ रही है। इसका मुख्य कारण है कि धरा का जलस्तर तेजी से घटता जा रहा है।
पिछले एक दशक से लगातार बारिश की कमी से माड़ क्षेत्र के गांवों में कुएं सूख गए हैं। वही अधिकांंश हैण्डपंप भी पानी की जगह हवा फेंक रहे हैं। स्थानीय कस्बे में ही वर्षभर पेयजल संकट बना रहता है। कस्बे के अलावा ढहरिया, मांचड़ी, दलपुरा, खुर्द भांवरा, तालचिड़ा, मोहचीकापुरा आदि गांवों में वर्षभर पेयजल संकट बना रहता है। पानी के अभाव में माड़ क्षेत्र में खेती में सिंचाई की समस्या रहती है। माड़ क्षेत्र के अधिकांश गांवों में तो १ हजार फीट तक भी पानी नहीं मिल रहा। लोग सुबह उठते ही पानी के लिए भागदौड़ शुरू कर देते हैं। महिलाओं व युवतियों के साथ पुरुषों को भी एक घड़े पानी के लिए कई घंटों मशक्कत करनी पड़ती है। माड़ क्षेत्र में पानी करीब ५०० से ७०० फीट नीचे पाताल में चला गया है। पानी के लिए लोग नलकूप खुदवाते है तो पानी नहीं निकलता।
चंबल का पानी भी बना सपना
करौली-सवाईमाधोपुर जिले में पेयजल संकट दूर करने के लिए राज्य सरकार की ओर से २००५ में स्वीकृत हुई ४७८ करोड़ रुपए की चंबल परियोजना से डेढ़ दशक बाद भी लोगों की प्यास नहीं बुझ पाई है। करीब ९२६ गांवों के लिए बनी चंबल परियोजना में नादौती क्षेत्र के ६३ गांव शामिल थे। लेकिन अब भी लोगों केा पानी नहीं मिला है। (पत्रिका संवाददाता)

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