शहरों से गांवों की ओर बढ़े कदम, कोरोना ने दिलाई घर की याद
गुढ़ाचन्द्रजी. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के फैलते ही लॉकडाउन की आशंका में शहरों से लोग अपने घरों को लौटने लगे है। इससे कई महिनों से बंद पड़े घर के दरवाजे खुल गए है। इससे सूने घरों का आंगन भी खिलखिला उठा है
गुढ़ाचन्द्रजी. कोरोना महामारी की दूसरी लहर के फैलते ही लॉकडाउन की आशंका में शहरों से लोग अपने घरों को लौटने लगे है। इससे कई महिनों से बंद पड़े घर के दरवाजे खुल गए है। इससे सूने घरों का आंगन भी खिलखिला उठा है। कई दशकों पहले रोजी-रोटी कमाने की खातिर दिल्ली, जयपुर, जबलपुर, बम्बई आदि स्थानों पर गए लोग कोरोना महामारी की दूसरी लहर के फैलते ही अपने घरों को लौटना शुरू हो गए हैं। इस कारण क्षेत्र में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग गांवों में आ रहे हैं। समीप के एक गांव में आए एक जने ने बताया कि वे दिल्ली में पिछले १५ वर्ष से रह रहे थे। उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया व शादी विवाह किए। लेकिन गत वर्ष कोरोना महामारी का प्रकोप पूरे देश में फैला तो उन्होंने अपने पुश्तैनी घर आना ही उचित सीखा। इसके बाद वे गांव में करीब तीन माह रूके। उन्होंने गांव में सुकुनभरी जिंदगी काटी। इसके बाद कोरोना का प्रकोप कम हुआ और सरकार ने अनलॉक की घोषणा की तो वे वापस खाने-कमाने दिल्ली आ गए। अब पिछले एक पखवाड़े से फैले कोरोना के कारण फिर से गांवों में लौटना शुरू कर दिया है।
इसी प्रकार मध्यप्रदेश के रायसेन में पिछले दस वर्ष से रह रहे एक जने ने बताया कि कोरोना के कारण मध्यप्रदेश में लोगों की हालत गंभीर है। इस समय सैकड़ों की संख्या में लोग रोजाना दम तोड़ रहे हैं। एक-एक घर में से तीन-चार लोग दम तोड़ रहे हैं। ऐसी विकट हालत में उन्होंने अपने गांव ही आना उचित समझा। इस कारण वे चार दिन पहले ही गांव में लौट आए हंै। रोजाना सैकड़ों लोग अपने घरों को लौट रहे हैं।