जिले में सिलिका सैण्ड का एरिया विशेष रूप से सपोटरा तहसील क्षेत्र में हैं, जबकि कुछेक करौली में हैं। जहां खनिज विभाग ने खानों के खनन पट्टे जारी किए हुए हैं। हालांकि इनमें सभी खदानें चालू नहीं हैं। सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट के जरिए एवं कुछ खदानों के जरिए प्राकृतिक बारीक रेता निकलती है, जिससे कांच बनता है। इस कांच के जरिए विभिन्न प्रकार के ग्लास तैयार होते हैं।
इसी सिलिका सैण्ड के जरिए कांच की चूडियां भी बनती हैं। फिरोजाबाद सहित बड़े शहरों में लगे कारखानों में बहुतायत में चूड़ी तैयार होती हैं, जो देश के विभिन्न स्थानों तक पहुंचती हैं।
कांच के विभिन्न उत्पादनों के अलावा इसी सिलिका से झल्लर और झाड़ फानूस (झूमर) भी आशियानों की शोभा बढ़ाते हैं। इससे जुड़े व्यापारी बताते हैं कि एक-एक झूमर लाखों रुपए कीमत तक में बिकता है। बड़ी-बड़ी होटल-मॉल्स में 10 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक के झूमर लगाए जाते हैं।
करौली रीको क्षेत्र में करीब पांच सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट लगे हैं, जबकि इनके अलावा मनोहरपुरा, सैमरदा, बर्रिया आदि स्थानों पर भी सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट लगे हुए हैं, जहां सिलिका सैण्ड के पत्थर को पीसकर रेता तैयार होता है।
सिलिका सैण्ड की देश के विभिन्न ग्लास फैक्ट्रियों में आपूर्ति होती है। विशेष रूप से उत्तरप्रदेश की मंडियों में यह माल पहुंचता है। इसमें भी फिरोजाबाद में बहुतायत में सिलिका सैण्ड पहुंचता है, जहां कांच की चूडिय़ा, झाड़ फानूस, पानी पीने के ग्लास, बल्व आदि बनते हैं। इसके अलावा भिवाड़ी ग्लास फैक्ट्री, रूड़की फैक्ट्री, बहादुरगढ़, ऋषिकेश, ग्वालियर आदि शहरों में भी सिलिका सैण्ड पहुंच रहा है।
फैक्ट फाइल
जिले में सिलिका सैण्ड खदानें 45
करौली-सपोटरा इलाके में सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट 10
एक सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट से प्रतिदिन उत्पादन 80 से 100 टन बड़े शहरों तक जाता है सिलिका
मुख्य रूप से सपोटरा इलाके में सिलिका सैण्ड की अनेक खदानें हैं, जिनके जरिए बड़ी मात्रा में माल बड़े शहरों तक पहुंचता हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉक डाउन से खदानें बंद हैं।
धर्मसिंह मीना, खनिज अभियंता, करौली
करौली जिले का सिलिका देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी शान बना चुका है। करीब चार दर्जन सिलिका सैण्ड की खदानों के जरिए फिरोजाबाद, भिवाड़ी, रूड़की, बहादुरगढ़, ऋषिकेश आदि तक फैक्ट्रियों में हमारी सिलिका पहुंचती है, जिससे कांच (ग्लास) तैयार होते हैं। इससे ठेकेदारों के अलावा एक से डेढ़ हजार तक मजदूर रोजगार से जुड़े हैं, लेकिन इन दिनों लॉक डाउन से खदानें बंद है। खदानों से माल की निकासी नहीं हो रही। इससे कारोबार पूरी तरह प्रभावित है।
मदनमोहन पचौरी, माइनिंग एसोसिएशन, अध्यक्ष करौली