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करौली

कोरोना के प्रहार से खदानें खामोश, करौली के सिलिका से बड़ी फैक्ट्रियों में बनता है कांच का सामान

करौली. देश के विभिन्न शहरों के आशियानों और दफ्तरों को जगमगा रहा करौली का सिलिका सैण्ड उद्योग भी कोरोना के प्रहार से इन दिनों मायूस है।

करौलीApr 07, 2020 / 12:14 pm

Dinesh sharma

कोरोना के प्रहार से खदानें खामोश, करौली के सिलिका से बड़ी फैक्ट्रियों में बनता है कांच का सामान

कोरोना के प्रहार से खदानें खामोश, करौली के सिलिका से बड़ी फैक्ट्रियों में बनता है कांच का सामान

करौली. देश के विभिन्न शहरों के आशियानों और दफ्तरों को जगमगा रहा करौली का सिलिका सैण्ड उद्योग भी कोरोना के प्रहार से इन दिनों मायूस है। सिलिका सैण्ड से तैयार होने वाले विभिन्न क्वालिटी के ग्लास देश के बड़े-बड़े शहरों की शान बन चुके हैं, लेकिन कोरोना के कहर से देश में लगे लॉक डाउन के बाद जिले की करीब चार दर्जन सिलिका सैण्ड खदानें भी इन दिनों खामौश हैं।
वहीं सिलिका सैण्ड से करौली के रीको उद्यौगिक क्षेत्र सहित इलाके में घनघनाती मशीनों के चक्के भी थमे हुए हैं। इससे विभिन्न स्तरों पर जुड़ा करोड़ों का व्यापार अस्त-व्यस्त हो गया हैं वहीं इस उद्योग और खदानों से जुड़कर रोजी-रोटी का जुगाड़ कर रहे मजदूर भी मायूस हैं। खदान ठेकेदार और सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट संचालक का भी प्रतिदिन लाखों रुपए का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।
सिलिका से यह होता है तैयार
जिले में सिलिका सैण्ड का एरिया विशेष रूप से सपोटरा तहसील क्षेत्र में हैं, जबकि कुछेक करौली में हैं। जहां खनिज विभाग ने खानों के खनन पट्टे जारी किए हुए हैं। हालांकि इनमें सभी खदानें चालू नहीं हैं। सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट के जरिए एवं कुछ खदानों के जरिए प्राकृतिक बारीक रेता निकलती है, जिससे कांच बनता है। इस कांच के जरिए विभिन्न प्रकार के ग्लास तैयार होते हैं।
ऑफिस-आशियानों को जगमगाने के लिए बल्व इसी से तैयार होते हैं, वहीं होटल-मॉल्स, वाहन आदि में लगने वाले ग्लास भी इसी सिलिका सैण्ड से तैयार होते हैं। कांच उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं किनए दौर में ग्लास सजावट के अलावा बहुउद्देशीय हो गए हैं। मजबूती के लिए टफन ग्लास व बिजली बचाने को डबल लेयर ग्लास का इस्तेमाल हो रहा है। पार्टिशन, सुन्दरता, रोशनी, प्राइवेसी हर जरुरत के लिहाज से फैक्ट्रियों में सिलिका से कांच तैयार होता है। व्यापारी बताते हैं कि देश के विभिन्न शहरों के ऑफिसों व घरों में कांच की दीवारें करौली की सिलिका सैण्ड से तैयार ग्लास से जगमग होती हैं।
कलाइयों पर दमकती चूडिय़ां
इसी सिलिका सैण्ड के जरिए कांच की चूडियां भी बनती हैं। फिरोजाबाद सहित बड़े शहरों में लगे कारखानों में बहुतायत में चूड़ी तैयार होती हैं, जो देश के विभिन्न स्थानों तक पहुंचती हैं।
लाखों के झूमर भी होते तैयार
कांच के विभिन्न उत्पादनों के अलावा इसी सिलिका से झल्लर और झाड़ फानूस (झूमर) भी आशियानों की शोभा बढ़ाते हैं। इससे जुड़े व्यापारी बताते हैं कि एक-एक झूमर लाखों रुपए कीमत तक में बिकता है। बड़ी-बड़ी होटल-मॉल्स में 10 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक के झूमर लगाए जाते हैं।
यहां लगे हैं सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट
करौली रीको क्षेत्र में करीब पांच सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट लगे हैं, जबकि इनके अलावा मनोहरपुरा, सैमरदा, बर्रिया आदि स्थानों पर भी सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट लगे हुए हैं, जहां सिलिका सैण्ड के पत्थर को पीसकर रेता तैयार होता है।
यहां होती आपूर्ति
सिलिका सैण्ड की देश के विभिन्न ग्लास फैक्ट्रियों में आपूर्ति होती है। विशेष रूप से उत्तरप्रदेश की मंडियों में यह माल पहुंचता है। इसमें भी फिरोजाबाद में बहुतायत में सिलिका सैण्ड पहुंचता है, जहां कांच की चूडिय़ा, झाड़ फानूस, पानी पीने के ग्लास, बल्व आदि बनते हैं। इसके अलावा भिवाड़ी ग्लास फैक्ट्री, रूड़की फैक्ट्री, बहादुरगढ़, ऋषिकेश, ग्वालियर आदि शहरों में भी सिलिका सैण्ड पहुंच रहा है।

फैक्ट फाइल
जिले में सिलिका सैण्ड खदानें 45
करौली-सपोटरा इलाके में सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट 10
एक सिलिका प्रोसेसिंग प्लांट से प्रतिदिन उत्पादन 80 से 100 टन

बड़े शहरों तक जाता है सिलिका
मुख्य रूप से सपोटरा इलाके में सिलिका सैण्ड की अनेक खदानें हैं, जिनके जरिए बड़ी मात्रा में माल बड़े शहरों तक पहुंचता हैं, लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉक डाउन से खदानें बंद हैं।
धर्मसिंह मीना, खनिज अभियंता, करौली
खदानें बंद होने से कारोबार प्रभावित
करौली जिले का सिलिका देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी शान बना चुका है। करीब चार दर्जन सिलिका सैण्ड की खदानों के जरिए फिरोजाबाद, भिवाड़ी, रूड़की, बहादुरगढ़, ऋषिकेश आदि तक फैक्ट्रियों में हमारी सिलिका पहुंचती है, जिससे कांच (ग्लास) तैयार होते हैं। इससे ठेकेदारों के अलावा एक से डेढ़ हजार तक मजदूर रोजगार से जुड़े हैं, लेकिन इन दिनों लॉक डाउन से खदानें बंद है। खदानों से माल की निकासी नहीं हो रही। इससे कारोबार पूरी तरह प्रभावित है।
मदनमोहन पचौरी, माइनिंग एसोसिएशन, अध्यक्ष करौली

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