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करौली

राजस्थान की इस नगरपरिषद में वेतन में खपता विकास का बजट

करौली नगरपरिषद में है सवा तीन सौ स्थायी-अस्थायी सफाईकर्मी30 अन्य अधिकारी-कर्मचारीअनुदान 25 लाख, दरकार रहती चौगुनीविकास कार्य भी हो रहे प्रभावित

करौलीJul 12, 2020 / 09:25 pm

Dinesh sharma

राजस्थान की इस नगरपरिषद में वेतन में खपता विकास का बजट

राजस्थान की इस नगरपरिषद में वेतन में खपता विकास का बजट

दिनेश शर्मा
करौली. शहर के विकास के लिए आने वाले बजट में से प्रतिमाह बड़ी राशि वेतन-संसाधनों में ही खप रही है। इसमें से भी बड़ी राशि सफाई की खातिर खर्च की जा रही है। बावजूद इसके सफाईकार्मिकों सहित अन्य कार्मिकों का ना तो नियमित रूप से समय पर वेतन भी नहीं मिल पाता है और ना ही जिला मुख्यालय की सफाई व्यवस्था सुचारू रह पाती है।
नगरपरिषद प्रशासन के अधिकारी कहते हैं कि सरकार से वेतन मद में कम राशि मिल पाती है, जबकि कार्यरत कार्मिकों के हिसाब से अधिक राशि की जरुरत रहती है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए मिलने वाली राशि से सफाईकर्मियों के वेतन-मानदेय में चुकाने पड़ते हैं। वहीं दूसरी ओर अव्यवस्था का खमियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ता है, तो पार्षद भी आए दिन अपने वार्ड क्षेत्र की समस्याओं को लेकर शिकवे-शिकायत करते नजर आते हैं।
मिलते हैं 25 लाख, जरुरत रहती करीब चार गुनी तक
करीब सवा लाख की आबादी के शहर की सफाई व्यवस्था के लिए परिषद के पास करीब सवा तीन सौ सफाईकर्मी हैं। इनमें करीब 104 सफाईकर्मी स्थायी हैं, जबकि करीब 225 ठेके पर लगाए हुए कार्मिक हैं। इनके अलावा सहायक कर्मचारी, फायरमैन, लिपिक, अभियंताओं सहित करीब 30 अन्य कार्मिक नगर परिषद में कार्यरत है।
परिषद सूत्र बताते हैं कि वेतन मद में सरकार से प्रतिमाह 25 लाख रुपए का अनुदान मिलता है। जबकि स्थायी सफाईकार्मिकों सहित परिषद के अन्य कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए प्रतिमाह करीब 53 लाख रुपए के वेतन की जरुरत रहती है।
इनके अलावा ठेके के सफाईकार्मिकों के लिए भी पृथक से करीब 19 लाख रुपए की जरुरत होती है। ऐसे में प्रतिमाह परिषद के सामने वेतन की मुश्किलें खड़ी हो जाती है। नगरपरिषद की इस समस्या के समाधान के लिए लम्बे समय से विकास के मद में आने वाली राशि से ही वेतन का भुगतान करना शुरू कर दिया। ऐसे में शहर में होने वाले विकास कार्यों में कटौती हो गई।
यह भी रहती जरुरत
वेतन भुगतान के अलावा परिषद को प्रतिमाह करीब 10 लाख रुपए की जरुरत डीजल सहित अन्य संसाधनों के लिए रहती है, वहीं टेम्पो ,जेसीबी चालक, कम्प्यूटर ऑपरेटर, आदि के लिए भी लगभग 10 से लाख रुपए चाहिए होते हैं।
विकास कार्यों के लिए मिली राशि
सूत्रों के अनुसार गत दिनों परिषद को शहर के विकास कार्यों के लिए करीब पौने दो करोड़ रुपए का बजट राज्य सरकार से मिला है। इससे पहले दिसम्बर माह में करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि मिली थी। इस बीच करीब दो करोड़ रुपए स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिले। सूत्र बताते हैं कि वेतन मद में राशि कम और कार्मिक अधिक होने से अनुदान राशि कम पड़ती है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए मिलने वाली राशि से वेतन भुगतान करना मजबूरी होता है। विशेष बात यह है कि बावजूद इसके परिषद के कार्मिकों-अधिकारियों को तो फिर भी नियमित रूप से वेतन नहीं मिल पाता। वर्तमान में भी जनवरी से परिषद के कई अभियंताओं व कार्मिकों का वेतन बकाया है।
कम मिलती है अनुदान राशि
वेतन मद में सरकार से अनुदान राशि केवल 25 लाख रुपए ही मिलती है, जबकि जरुरत करीब एक करोड़ रुपए की रहती है। ऐसे में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए विकास के लिए आने वाली बीटी में से ही वेतन देना मजबूरी होता है। इस बारे में राज्य सरकार को अवगत कराकर अनुदान राशि बढ़ाने की मांग भी की गई है। शहर की सफाई व्यवस्था सुचारू बनी रहे इसके लिए प्राथमिकता से उनका वेतन-मानदेय दिया जाता है।
अजय प्रजापत, सभापति, नगरपरिषद, करौली

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