करीब सवा लाख की आबादी के शहर की सफाई व्यवस्था के लिए परिषद के पास करीब सवा तीन सौ सफाईकर्मी हैं। इनमें करीब 104 सफाईकर्मी स्थायी हैं, जबकि करीब 225 ठेके पर लगाए हुए कार्मिक हैं। इनके अलावा सहायक कर्मचारी, फायरमैन, लिपिक, अभियंताओं सहित करीब 30 अन्य कार्मिक नगर परिषद में कार्यरत है।
वेतन भुगतान के अलावा परिषद को प्रतिमाह करीब 10 लाख रुपए की जरुरत डीजल सहित अन्य संसाधनों के लिए रहती है, वहीं टेम्पो ,जेसीबी चालक, कम्प्यूटर ऑपरेटर, आदि के लिए भी लगभग 10 से लाख रुपए चाहिए होते हैं।
सूत्रों के अनुसार गत दिनों परिषद को शहर के विकास कार्यों के लिए करीब पौने दो करोड़ रुपए का बजट राज्य सरकार से मिला है। इससे पहले दिसम्बर माह में करीब ढाई करोड़ रुपए की राशि मिली थी। इस बीच करीब दो करोड़ रुपए स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिले। सूत्र बताते हैं कि वेतन मद में राशि कम और कार्मिक अधिक होने से अनुदान राशि कम पड़ती है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए मिलने वाली राशि से वेतन भुगतान करना मजबूरी होता है। विशेष बात यह है कि बावजूद इसके परिषद के कार्मिकों-अधिकारियों को तो फिर भी नियमित रूप से वेतन नहीं मिल पाता। वर्तमान में भी जनवरी से परिषद के कई अभियंताओं व कार्मिकों का वेतन बकाया है।
वेतन मद में सरकार से अनुदान राशि केवल 25 लाख रुपए ही मिलती है, जबकि जरुरत करीब एक करोड़ रुपए की रहती है। ऐसे में व्यवस्था को बनाए रखने के लिए विकास के लिए आने वाली बीटी में से ही वेतन देना मजबूरी होता है। इस बारे में राज्य सरकार को अवगत कराकर अनुदान राशि बढ़ाने की मांग भी की गई है। शहर की सफाई व्यवस्था सुचारू बनी रहे इसके लिए प्राथमिकता से उनका वेतन-मानदेय दिया जाता है।