अक्टूबर 2017 में शुरू हुई मण्डी को बढ़ावा देने के भी प्रयास नजर नहीं आते हैं। अब तक मण्डी में ऑयल जांच मशीन तक नहीं लगी है। इससे भी किसान यहां आने से कतराते हैं। वहीं व्यापारी भी लगातार तेल की मात्रा व गुणवत्ता जांच के लिए यहां प्रयोगशाला शुरू करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मण्डी समिति की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा। व्यापारी कहते हैं कि ऑयल जांच लगने से सरसों में तेल की निर्धारित मात्रा का सही से आकलन हो जाता है। इससे जहां एक ओर किसानों को गुणवत्ता अनुसार अपनी उपज का पूरा दाम मिल जाता है, वहीं व्यापारियों को भी गुणवत्ता का भी पता चल सकता है। ऐसे में व्यापारियों द्वारा ढेरियों में हाथ डाल हथेलियोंं पर सरसों के दाने की परख कर दाम तय किए जाते हैं। नीलामी में व्यापारियों द्वारा सरसों में तेल की मात्रा के बजाए दाने के आकार व रंग को देखा जाता है। ऐसे में किसान अपनी सरसों को बिना मानकों के तय हुए दाम पर बेचने पर मजबूर होते हैं।
गौरतलब है कि इस बार जिले में कृषि विभाग ने कुल 90 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में सरसों बुवाई का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसके मुकाबले 81 हजार 500 हैक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हुई थी।
मण्डी में नई सरसों की आवक शुरू हो गई, लेकिन करौली की मण्डी यार्ड में काफी कम मात्रा में 150-200 कट्टे ही सरसों आ रहे हैं। एक कारण तो यह है कि हिण्डौन मण्डी बड़ी है। सपोटरा इलाके के किसान गंगापुर चले जाते हैं। वहीं करौली मण्डी की ओर मण्डी समिति की ध्यान भी नहीं है। भाव में तो कोई अन्तर नहीं है।
तुलसीदास गोयनका, अध्यक्ष कृषि उपज मण्डी यार्ड, करौली
महेन्द्र गुप्ता, व्यापारी, कृषि मण्डी यार्ड, करौली