एम्बुलेंस में जीपीएस डिवाइस लगने से एम्बुलेंसों की लोकेशन का पता चल सकेगा कि वर्तमान में एम्बुलेंस कहां पर चल रही है या खड़ी है। आपात स्थिति के दौरान संबंधित एम्बुलेंस चालक को मोबाइल फोन के जरिए सूचना देकर संबंधित रोगी को तत्काल नजदीकी अस्पताल में पहुंचाया जा सकेगा, जिससे उसका समय पर उपचार हो सके। विभाग के अनुसार नागरिक सुरक्षा की दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस दिशा में कार्रवाई की जा रही है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार सरकारी एवं निजी एम्बुलेंस में व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस लगवाना जरुरी है। विभाग ने इसके लिए एक माह का समय निर्धारित किया है, यदि एम्बुलेंस संचालक यह डिवाइस नहीं लगवाते हैं तो परिवहन विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राशि ही एम्बुलेंस संचालक वसूल करेंगे, वहीं आपात स्थिति में मौके पर पहुंचने के लिए बाध्य होंगे।
करौली जिले में करीब 90 एम्बुलेंस संचालित हैं, जिनमें सरकारी व प्राइवेट शामिल हैं। इन सभी में डिवाइस लगेगी। विभाग की ओर से मानक के अनुसार यह डिवाइस निर्धारित की गई है, जिसकी सूची भी विभाग ने जारी की है। व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस को वाहन सॉफ्टवेयर से इंटीग्रेट एवं नेटवर्किंग करते हुए मुख्यालय स्तर पर मॉनीटरिंग की व्यवस्था होगी।
नई व्यवस्था के तहत एम्बुलेंस वाहनों में अब पैनिक बटन भी लगाना होगा। ताकि रास्ते में किसी तरह की कोई परेशानी होने की स्थिति में इस बटन का उपयोग मरीज के परिजन कर सकेंगे। इस बटन के जरिए सीधे सूचना पुलिस व परिवहन विभाग तक पहुंचेगी। यह लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम अभय कमांड सेन्टर से जोड़ा जाएगा। साथ ही वाहन सॉफ्टवेयर से इंटीग्रेट एवं नेटवर्किंग करते हुए परिवहन मुख्यालय स्तर से मॉनीटरिंग की जाएगी।
परिवहन मुख्यालय से सरकारी व निजी एम्बुलेंस में जीपीएस (व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस) लगवाने के निर्देश मिले हैं। आदेशानुसार कार्रवाई शुरू कर दी है। जिले में सरकारी व निजी करीब 90 एम्बुलेंस है, जिनमें सभी में डिवाइस लगवाने के लिए तैयारी कर रहे हैं। एम्बुलेंसों में जीपीएस डिवाइस लगने से बड़ा फायदा यह होगा कि आपात स्थिति में समय पर एम्बुलेंस मौके पर पहुंच सकेगी।
नरेशकुमार बसवाल, जिला परिवहन अधिकारी, करौली