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करौली

समर्थन मूल्य के खरीद केन्द्रों से किसानों ने इसलिए बनाए रखी दूरी

करौली. सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर जिले में गेहूं, चना-सरसों की खरीद के लिए स्थापित किए गए खरीद केन्द्रों से इस बार किसानों ने मुंह मोड़े रखा।

करौलीJul 07, 2022 / 09:32 pm

Dinesh sharma

समर्थन मूल्य के खरीद केन्द्रों से किसानों ने इसलिए बनाए रखी दूरी

समर्थन मूल्य के खरीद केन्द्रों से किसानों ने इसलिए बनाए रखी दूरी

करौली. सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर जिले में गेहूं, चना-सरसों की खरीद के लिए स्थापित किए गए खरीद केन्द्रों से इस बार किसानों ने मुंह मोड़े रखा। एक अप्रेल से शुरू हुई खरीद 30 जून तक की जाने थी, लेकिन तीन माह की अवधि में कोई भी किसान अपनी कृषि जिंस लेकर सरकारी खरीद केन्द्रों पर नहीं पहुंचा और खरीद केन्द्र सूने पड़े रहे।
नतीजतन इस बार जिले में समर्थन मूल्य पर कृषि जिंसों की खरीद ही नहीं हो सकी है। जिम्मेदार अधिकारी इसके पीछे कारण कृषि जिंसों का बाजार भाव अधिक होना बताते हैं। गौरतलब है कि जिले में गेहूं, सरसों और चना की खरीद के लिए कुल 16 केन्द्र स्थापित किए गए थे। इन केन्द्रों पर राजफेड, एफसीआई और तिलमसंघ को अलग-अलग कृषि जिंसों की खरीद करनी थी। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी करौली क्रय विक्रय सहकारी समिति के खरीद केन्द्र पर सरसों का तो श्रीगणेश भी नहीं हो सका था। एक भी किसान अपनी सरसों लेकर समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए नहीं आया। गत वर्ष भी बाजार में सरसों के भाव समर्थन मूल्य के बजाए अधिक थे। इस केन्द्र पर चना भी महज 352 क्विंटल ही आ सका था।
समर्थन मूल्य पर बाजार भाव पड़ा भारी
इस बार सरकार ने चना का समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था। इसी प्रकार सरसों का समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल रखा, वहीं गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित था। सूत्रों का कहना है कि बाजार में सरसों का मण्डी भाव समर्थन मूल्य से काफी अधिक रहा, जबकि गेहूं-चना का बाजार भाव और समर्थन मूल्य को कोई ज्यादा अन्तर तो नहीं है, लेकिन समर्थन मूल्य पर औपचारिकताएं अधिक होने और भुगतान के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ता है, जिससे किसानों ने रुचि नहीं दर्शाई।
जिले में बनाए थे एक दर्जन से अधिक केन्द्र
जानकारी के अनुसार जिले में नादौती में गेहूं, चना और सरसों के खरीद केन्द्र बनाए गए, जहां राजफेड द्वारा क्रय-विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से खरीद करनी थी। वहीं करौली जिला मुख्यालय पर चना-सरसों की खरीद के लिए राजफेड़ ने केवीएसएस को अधिकृत किया। जबकि करौली में गेहूं की खरीद तिलमसंघ को करनी थी। इसी प्रकार टोडाभीम में भी राजफेड द्वारा केवीएसएस के माध्यम से गेहूं, चना व सरसों के लिए खरीद केन्द्र स्थापित किया गया। जबकि हिण्डौन क्रय-विक्रय सहकारी समिति को हिण्डौन के अलावा मण्डरायल, सपोटरा और करणपुर में कृषि जिंसों की खरीद की जिम्मेदारी थी। जिलेभर में बनाए गए खरीद केन्द्रों पर राजफेड, तिलमसंघ और एफसीआई द्वारा कृषि जिंसों की खरीद की जानी थी।
इनका कहना है
जिले में गेहूं, चना और सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए खरीद केन्द्र स्थापित किए गए थे। लेकिन इन खरीद केन्द्रों पर इस बार कृषि जिंसों को बेचने के लिए किसान नहीं आए।
सतीशचन्द मीना, उपरजिस्ट्रार सहकारी समितियां, करौली

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