इस बार सरकार ने चना का समर्थन मूल्य 5230 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था। इसी प्रकार सरसों का समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल रखा, वहीं गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित था। सूत्रों का कहना है कि बाजार में सरसों का मण्डी भाव समर्थन मूल्य से काफी अधिक रहा, जबकि गेहूं-चना का बाजार भाव और समर्थन मूल्य को कोई ज्यादा अन्तर तो नहीं है, लेकिन समर्थन मूल्य पर औपचारिकताएं अधिक होने और भुगतान के लिए कुछ दिन इंतजार करना पड़ता है, जिससे किसानों ने रुचि नहीं दर्शाई।
जानकारी के अनुसार जिले में नादौती में गेहूं, चना और सरसों के खरीद केन्द्र बनाए गए, जहां राजफेड द्वारा क्रय-विक्रय सहकारी समिति के माध्यम से खरीद करनी थी। वहीं करौली जिला मुख्यालय पर चना-सरसों की खरीद के लिए राजफेड़ ने केवीएसएस को अधिकृत किया। जबकि करौली में गेहूं की खरीद तिलमसंघ को करनी थी। इसी प्रकार टोडाभीम में भी राजफेड द्वारा केवीएसएस के माध्यम से गेहूं, चना व सरसों के लिए खरीद केन्द्र स्थापित किया गया। जबकि हिण्डौन क्रय-विक्रय सहकारी समिति को हिण्डौन के अलावा मण्डरायल, सपोटरा और करणपुर में कृषि जिंसों की खरीद की जिम्मेदारी थी। जिलेभर में बनाए गए खरीद केन्द्रों पर राजफेड, तिलमसंघ और एफसीआई द्वारा कृषि जिंसों की खरीद की जानी थी।
जिले में गेहूं, चना और सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए खरीद केन्द्र स्थापित किए गए थे। लेकिन इन खरीद केन्द्रों पर इस बार कृषि जिंसों को बेचने के लिए किसान नहीं आए।
सतीशचन्द मीना, उपरजिस्ट्रार सहकारी समितियां, करौली