सरसों की पैदावार के समय जमाते डेरा
किसानों के अनुसार सरसों की पैदावार के समय मधुमक्खी पालन सबसे अधिक किया जाता है। क्योंकि सरसों के पीले फूलों से मधुमक्खी शहद बनाती है। राजस्थान में रबी की फसल के दौरान सरसों की बम्पर पैदावार होती है। सरसों की खेती में फूल आने के साथ ही मधुमक्खी पालकों ने डेरा जमाना शुरू कर दिया है। तेसगांव, खेड़ला, कैमरी आदि गांव के किसान भी मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। राजस्थान में जुलाई से जनवरी तक का मौसम मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल है।
किसानों के अनुसार सरसों की पैदावार के समय मधुमक्खी पालन सबसे अधिक किया जाता है। क्योंकि सरसों के पीले फूलों से मधुमक्खी शहद बनाती है। राजस्थान में रबी की फसल के दौरान सरसों की बम्पर पैदावार होती है। सरसों की खेती में फूल आने के साथ ही मधुमक्खी पालकों ने डेरा जमाना शुरू कर दिया है। तेसगांव, खेड़ला, कैमरी आदि गांव के किसान भी मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। राजस्थान में जुलाई से जनवरी तक का मौसम मधुमक्खी पालन के लिए अनुकूल है।
विशेष बॉक्स में तैयार होता है शहद
सहायक कृषि अधिकारी हरिओम मीणा ने बताया कि मधुमक्खी जिन फसलों में पराग क्रिया करती है उन फसलों की गुणवत्ता बढ़ाती है। पराग क्रिया से पैदावार भी बढ़ती है। मधुमक्खी की इस परागण क्रिया से फसल में डेढ़ गुना तक वृद्धि हो जाती है। मधुमक्खी पालन के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। मौसम अनुकूल होने पर मधुमक्खियां 1 सप्ताह में एक डिब्बे में 7 से 8 किलो शहद जमा करती है। राष्ट्रीय बागवानी योजना के तहत मधुमक्खी पालन पर अनुदान भी दिया जाता है।
सहायक कृषि अधिकारी हरिओम मीणा ने बताया कि मधुमक्खी जिन फसलों में पराग क्रिया करती है उन फसलों की गुणवत्ता बढ़ाती है। पराग क्रिया से पैदावार भी बढ़ती है। मधुमक्खी की इस परागण क्रिया से फसल में डेढ़ गुना तक वृद्धि हो जाती है। मधुमक्खी पालन के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। मौसम अनुकूल होने पर मधुमक्खियां 1 सप्ताह में एक डिब्बे में 7 से 8 किलो शहद जमा करती है। राष्ट्रीय बागवानी योजना के तहत मधुमक्खी पालन पर अनुदान भी दिया जाता है।
देसी तरीकों से भी करते शहद की पहचान
शहद के असली या नकली होने का सटीक पता तो लैब पर जांच के बाद ही पता चलता है, लेकिन कई लोग देसी पद्वति से भी जांच कर शहद की गुणवत्ता का आंकलन करते हैं। मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों ने बताया कि सबसे अच्छा शहद मधुमक्खियों द्वारा सरसों व धनिया की फसल तैयार किया होता है। सरसों का शहद सफेद रंग का होता है। हल्के तापमान में ही शहद तीन से 4 घंटे में जम जाता है। शहद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। औषधियां तैयार करने में शहद का उपयोग होता है।
शहद के असली या नकली होने का सटीक पता तो लैब पर जांच के बाद ही पता चलता है, लेकिन कई लोग देसी पद्वति से भी जांच कर शहद की गुणवत्ता का आंकलन करते हैं। मधुमक्खी पालन से जुड़े लोगों ने बताया कि सबसे अच्छा शहद मधुमक्खियों द्वारा सरसों व धनिया की फसल तैयार किया होता है। सरसों का शहद सफेद रंग का होता है। हल्के तापमान में ही शहद तीन से 4 घंटे में जम जाता है। शहद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। औषधियां तैयार करने में शहद का उपयोग होता है।