शहर के गली-मोहल्लों सुबह नल आने के दौरान पानी भरना बड़ी जंग जैसा लगता है। घंटों बर्तन समेटे नलों के इंतजार में बैठी महिलाएं और एक-एक घड़े के लिए आपस में उलझते पुरुषों को देखना कोई नई बात नहीं है। कई कॉलोनी व ढाणियों के लोगों को तो नहाना तो दूर पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा। कई जगह पाइप लाइन टूटने के बाद पानी दिनभर बहकर सडक़ों पर पसरता रहता है, लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं है। पाइप लाइनों में लीकेज जिम्मेदारों को नजर नहीं आते। जो अधिकारी आतें हैं वो कागजों में जनता की समस्या दूर कर चले जाते है।
आंकड़ों में पूरा, हकीकत में अधूरा कार्य-
विभाग की मानें तो 58 करोड़ रुपए की शहरी पुनर्गठित जल योजना का कार्य पूर्ण हो गया है। जबकि पुरानी कचहरी में उच्च जलाशय का अधूरा निर्माण और तेली की पंसेरी पर बंद पड़े कई नलकूप इसकी हकीकत बयां कर रहे हैं। इतना ही नहीं योजना में शामिल कई कॉलोनियों में पाइप लाइन बिछाने का कार्य अभी भी अधर में अटका है। आंकड़ों की बात करें तो 24 करोड़ की अमृत योजना के तहत विभाग अब तक 10 हजार परिवारों को नल कनेक्शन जारी करने की बात कह रहा है।
जबकि हकीकत में तीन से चार हजार लोगों के घर ही पानी पहुंच पाया है। प्रहलाद कुंड पंप हाउस पर दो स्वच्छ जलाशय, सरस डेयरी के पास भूतल जलाशय, कंज्यूमर केयर सेंटर, क्यारदा बांध में मास्टर कंट्रोल सेंटर, कम्प्यूटरीकृत स्काडा सेंटर का निर्माण अधूरा हुआ है। 43 में से 28 सोलर नलकूप चालू हुए हैं। प्रहलाद कुंड तक बनाई जाने वाली तीन किलोमीटर सडक़ भी नहीं बन पाई है। इतना ही नहीं डीआई व एचडीपीई पाइपलाइन भी अधूरी बिछी है।
भ्रष्टाचार के भंवर में फंसी 24 करोड़ की योजना! –
यही हाल भ्रष्टाचार के भंवर में फंसी 24 करोड़ की अमृत जल योजना का है। विधायक भरोसी लाल जाटव व पार्षद लेखेन्द्र चौधरी समेत कई जनप्रतिनिधियों की शिकायत के आधार पर जयपुर की विजिलेंस टीम संवेदक द्वारा कराए निर्माण की जांच में जुटी है।
इधर निधारित समयावधि बीतने के बावजूद जमीनी स्तर पर योजना का 50 फीसदी ही काम हो सका है। हालांकि विभाग ने कार्य पूरा करने के लिए तीन माह का अतिरिक्त समय दिया है। जिसके तहत अब मार्च तक काम पूरा करना होगा, लेकिन महकमे के अभियंताओं के मुताबिक ही योजना के शेष कार्य में करीब एक वर्ष का समय और लगेगा। यानी आने वाली गर्मियों में भी शहरवासियों को बीते वर्षों की तरह पानी की मारामारी से जूझना पड़ेगा।
अधूरी रह गई आमजन की आस-
सूत्रों के अनुसार शहरी पुनर्गठित जल योजना का कार्य वर्ष 2013 में शुरू हुआ था। इसके तहत शहर में नौ टंकियां व 32 नलकूप बनने थे। निर्माण एजेंसी के आग्रह पर कई बार समयावधि बढ़ाने पर भी योजना हकीकत में पूरी नहीं हो सकी है। इसी प्रकार 21 दिसंबर 2017 में शुरु हुआ 24 करोड़ की अमृत जल योजना का कार्य 20 दिसंबर 2019 को पूरा होना था।
इसके तहत वर्ष 2009 के बाद विकसित हुई कॉलोनियों व दशकों से पानी के लिए जूझ रहे ढाणियों के 18 हजार परिवारों को नल कनेक्शन दिए जाने थे। इसमें सौर ऊर्जा से संचालित 43 सिंगल फेज नलकूप व पटपरीपुरा में छह, तेली की पंसेरी रोड पर चार व महू गांव के पास गंभीर नदी के पेटे में दो थ्री फेज ट्यूबवैल खोदे जाने थे। इसके अलावा दो स्वच्छ जलाशयों (सीडब्ल्यूआर) का निर्माण होना था। लेकिन करोडों खर्चने के बावजूद लोगों की आस अधूरी रह गई।
इनका कहना है– 58 करोड की शहरी पुनर्गठित जलयोजना में सरकार ने 38 करोड़ कर दी। जिसका काम पूरा हो चुका है। जबकि 24 करोड़ रुपए की अमृत जल योजना का कार्य प्रगति पर है। आगामी गर्मियों तक योजना का कार्य पूर्ण कर लोगों को पानी मुहैया कराने के प्रयास किए जाएंगे।
-आशाराम मीना, अधिशासी अभियंता,
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग खण्ड हिण्डौनसिटी.