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करौली

दलालों द्वारा विभाग से पैसा दिलाने का झांसा दे अनपढ़ श्रमिकों से पैसा ऐंठने की शिकायत श्रम विभाग को मिलीं तो लिया ये एक्शन

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करौलीAug 01, 2018 / 07:44 pm

Vijay ram

'लाडो'

labour department News, Latest Breaking News on Laado


करौली.
आंखों देखी और कानों सुनी बात को ही सच मानने वाली धारणा को श्रम विभाग ने अपनाया है। ‘लाडो’ की सहायता गलत हाथों में नहीं चली जाए और किसी भी स्तर पर गलती की कोई गुंंजाइश ही नहीं रहे इसके लिए अधिकारी कार्यालय में मूल दस्तावेजों के साथ आंखों देखी टिप्पणी के साथ भौतिक सत्यापन कर रहे हैं। ऐसे में रफ्ता-रफ्ता यहां से दलालों का ‘सायाÓ भी सरक रहा है।
श्रम विभाग की ओर से श्रमिक की बेटी को १८ वर्ष की आयु पूर्ण करने पर ‘शुभ शक्तिÓ योजना के तहत ५५ हजार रुपए देने का प्रावधान है। पहले ऑफ लाइन आवेदन और श्रमिक के घर जाकर उसकी जानकारी जुटाने के तमाम झंझावतों के चलते योजना रफ्तार नहीं पकड़ पा रही थी। कार्मिकों को भी घर-घर से जानकारी जुटाना खासा मुश्किल होता था। कई बार गलत जानकारी अंकित होने पर हिताधिकारी इससे वंचित रह जाते थे।
इसके अलावा कई दलाल विभाग से पैसा दिलाने का झांसा देकर अनपढ़ श्रमिकों से पैसा ऐंठने की शिकायत भी विभाग को मिलीं। अब विभाग ने इस व्यवस्था को खत्म कर भौतिक सत्यापन के बाद ही राशि बिटिया के खाते में डालना शुरू किया है। इससे बहुतेरे श्रमिकों को सहज तरीके से सरकार का अनुदान मिलने लगा है। अब अनुदान पाने वाली युवती को श्रम विभाग के कार्यालय में खुद उपस्थित होकर अपने मूल दस्तावेज चेक कराने होते हैं।
यह बिंदु भी हैं चेक लिस्ट में शामिल
– मूल पंजीयन डायरी/सिस्टम जनित बेनीफिसयरी रजिस्ट्रेशन है या नहीं।
– हिताधिकारी का अंशदान बोर्ड में जमा है या नहीं।
– मूल भामाशाह एवं आधार कार्ड के अनुसार आवेदन में प्रविष्टि सही है या नहीं।
– निर्माण श्रमिक के रूप में नियोजित रहा होना प्रमाणित है या नहीं।
– मूल प्रमाण पत्र/अंक तालिका के अनुसार महिला हिताधिकारी की पुत्री की शैक्षणिक योग्यता सही है या नहीं।
हर स्तर पर संदेश
योजना का लाभ लेने वाले हिताधिकारी जैसे ही विभाग में पंजीयन कराते हैं तो उनके रजिस्टर्ड कराने वाले मोबाइल पर इसका संदेश आता है। ऑनलाइन पंजीयन व्यवस्था के बाद अब फाइल कहां पहुंची, किस अधिकारी या कर्मचारी के पास है और उस पर किस स्तर का काम चल रहा है। यदि किसी कारणवश वह अटकी है तो उसके कारण सहित संदेश हिताधिकारी के मोबाइल पर पहुंच रहा है।
इनका कहना है
नई व्यवस्था के तहत भौतिक सत्यापन कर टिप्पणी की जा रही है। हिताधिकारी की बेटी को मूल दस्तावेज कार्यालय में आकर चेक कराने होते हैं। इसके बाद ही टिप्पणी की जाकर उसे अपलोड किया जाता है। यह व्यवस्था खासी कारगर साबित हो रही है।
– शिवदयन सोलंकी, श्रम कल्याण अधिकारी करौली।
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