पिछले वर्षों में झेल चुके तीन करोड़ का नुकसान दिसम्बर 2019 एवं जनवरी 2020 में पान किसानों की 90-95 फीसदी फसल बर्बाद हो गई। सर्दी एवं पाले के कहर से करीब 3 करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा था। मौसम के अलावा कोरोना संक्रमण के दौर में लॉकडाउन ने भी किसानों को आर्थिक बोझ तले दबा दिया है।
कम हो रहा रुझान मासलपुर क्षेत्र पान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। शुरुआत में यहां के किसानों को पान की खेती से अच्छा मुनाफा हुआ था। जिससे किसानों की रुचि बढ़ती गई, लेकिन अब कुछ वर्षों में ऐसा ग्रहण लगा है कि किसानों का पान की खेती से रुझान कम हो रहा है।
सरकार से नहीं सहारा पान उत्पादक किसान महेश चंद्र वर्मा, बुधराम रावत व गजानंद मोहविया नेे बताया किसान कई समस्याओं से जूझ रहे हैं, डूबते किसानों को सरकार का भी सहारा नहीं है। सरकार के उदासीन रवैये से पान उत्पादक किसान तरक्की से वंचित है। लम्बे समय से किसान पान की खेती को बागबानी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही। प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने पर उनको सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिलता। जबकि पडोसी राज्य उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश में पान की खेती को संरक्षण प्राप्त है। किसानों ने बताया कि करौली जिले में विश्ेाषकर मासलपुर व उपरेला गांव में तमोली समाज द्वारा पान की खेती की जाती है।
पान उत्पादक किसान भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसान हैं। भूमिहीन होने व लागत अधिक होने के कारण कई किसान जमीन किराए पर लेकर 10 विस्बा भूमि पर 2-3 किसान मिलकर पान की खेती करते हैं। यदि राजस्थान में पान की खेती को बागबानी मिशन में शामिल कर लिया जाए तो पान उत्पादक किसानों की नैया पार हो सकती है।
भाजपा मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद वर्मा, महेश चंद्र वर्मा सहित किसानों ने फसल खराबे का आंकलन कर मुआवजा दिलाने की मांग की है।