सुरक्षा को उठे सवाल- मातृ एवं शिशु कल्याण केन्द्र जहां शिफ्ट किया गया है कि वो स्थान शहर से काफी दूर सुनसान जगह पर स्थित है। तो वहीं महिला नर्सों की तैनाती तो कर दी गई है लेकिन केन्द्र पर सुरक्षा के किसी प्रकार के प्रबंध अस्पताल और पुलिस की ओर से नहीं किए गए। इस बारे में अस्पताल के पीएमओ ने जिला पुलिस अधीक्षक को पत्र भेज पुलिस का जाप्ता लगाने की मांग भी की है। लेकिन अभी तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
आने-जाने की सबसे बड़ी समस्या- शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित मातृ एवं शिशु कल्याण होने के कारण यहां आने-जाने के लिए परिवहन की उचित व्यवस्था नहीं है। जबकि निर्धन परिवार के लोगों को मरीजों को टेम्पों से लेकर जाना पड़ता है। टेम्पो 40 से 50 रुपए के हिसाब से किराया वसूल कर रहे हैं। अस्पताल में अभी एक्सरा की व्यवस्था नहीं है तथा दवाइयों का भी अभाव है। इस कारण दूर-दराज से आने वाले मरीजों के परिजन केन्द्र से अस्पताल में जांच कराने के लिए आते हैं तो 100 से 150 रुपए किराए में व्यय करने पड़ रहे हैं।
रक्त के लिए लोग हो रहे परेशान- शिफ्ट किए गए इस नए केन्द्र में ब्लैड बैंक और ब्लैड स्टोरेज यूनिट की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। जिससे आपातकालीन समय में मरीजों को रक्त नहीं मिल पाने की समस्या बनी हुई है। तो वहीं मरीजों को रक्त के लिए अस्पताल की ब्लड बैंक में आना पड़ेगा। जहां पर पहले रक्त के बदले रक्त दिया जाएगा, इसके बाद चार किलोमीटर दूर उसे लेकर जाना एक गंभीर समस्या की इशारा करती है।
जिला कलक्टर को बताएंगे समस्या- इस मामले पर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी करौली श्रीराम मीना का कहना है कि सुरक्षा के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख दिया है, जनरेटर को ठीक कराया जा रहा है। साथ ही जरुरत को देखते हुए मशीन ट्रान्सफर कराई जा रही है। जबकि नई सीवीसी मशीन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बिजली और परिवहन की अधिक समस्या है। इस बारे में जिला कलक्टर से मुलाकात की जाएगी।
उधर अतिरिक्त जिला कलक्टर राजनारायण शर्मा ने बताया कि प्रशासनिक स्तर से व्यवस्था बकाया नहीं है। लेकिन समीक्षा कर नए केन्द्र में सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे।