scriptचिटफंड कम्पनियों के ‘माया’ जाल में निवेशक हुए कंगाल | Paupers become investors in the 'Maya' trap of chit fund companies | Patrika News
करौली

चिटफंड कम्पनियों के ‘माया’ जाल में निवेशक हुए कंगाल

Paupers become investors in the ‘Maya’ trap of chit fund companies. Now pleading for deposit.Chit fund companies fraud.patrika maha abhiyaan
अब जमा पूंजी के लिए कर रहे गुहार, चिटफंड कम्पनियों का चूना, पत्रिका महाअभियान

करौलीOct 14, 2019 / 11:19 pm

Anil dattatrey

अब जमा पूंजी के लिए कर रहे गुहार

चिटफंड कम्पनियों के ‘माया’ जाल में निवेशक हुए कंगाल

-ओमप्रकाश सुमन-
हिण्डौनसिटी. आकर्षक स्कीम व मोटे ब्याज का प्रलोभन देकर एक दर्जन से ज्यादा चिटफंड कंपनियां लोगों की गाढ़ी कमाई के करीब 500 करोड़ रुपए दबा कर भाग गई। कंगाल हो चुके हजारों निवेशक अब जमापूंजी की वापसी के लिए मारे-मारे भटक रहे हैं। शहर में पिछले 10-12 साल से संचालित करीब एक दर्जन से अधिक चिटफंड कम्पनियों के कार्यालय खुले और बंद हो गए। हालांकि पुलिस ने कुछ कम्पनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तो शुरु की है, लेकिन यहां के लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है।

पुलिस सूत्रों के अनुसार वर्ष 2005 के लेकर 2015 तक डेढ़ दर्जन से अधिक चिटफंड कम्पनियों ने शहर में बड़े व आलीशान भवनों को किराए पर लेकर भारी तामझाम के साथ दफ्तर खोल माया (मोटे ब्याज का लोभ) जाल बिछा लिया। शहर में सांई प्रसाद, पीएसीएल, केबीसीएल, स्काई लार्क, विंसार एग्रो, बाइक बोर्ड, आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव, रेजफील्ड, केएमजे, लोकहित भारती, पिलकॉन, सांई प्रकाश, पुलाक मार्केटिंग, एसएलडीआई इन्फ्राकॉम नाम की चिटफंड कम्पनियां करीब 500 करोड़ से ज्यादा रुपए वसूल कर भागी हैं। इनमें से सबसे पुरानी कम्पनी पीएसीएल सबसे पहले निवेशकों को चूना लगा कर रफूचक्कर हुई थी। इसके बाद तो ये कम्पनियां एक-एक कर अपना कारोबार समेट कर भागने लगीं। फिलहाल शहर में एक भी चिटफंड कम्पनी का कार्यालय संचालित नहीं हैं।

एक जैसी रही कार्यशैली-
पुलिस सूत्रों के अनुसार सभी चिटफंड कम्पनियों की कार्यशैली एक जैसी ही रही। कम समय में रकम दोगुना करने, जमा रकम पर ज्यादा ब्याज देने जैसे वादे कर उन्होंने लोगों से मासिक, तिमाही और सालाना योजनाओं में रकम निवेश कराई। भरोसा जीतने के लिए कुछ साल तक उन्होंने निवेशकों को उनकी जमापूंजी बढ़त के साथ लौटाई, लेकिन विश्वास बढऩे के बाद में किसी न किसी बहाने भुगतान विलंबित करने लगीं। निवेशक दबाव बनाने लगे तो करोड़ों रुपए एकत्रित कर रातों रात कार्यालयों पर ताले लगा भाग गईं।

पीडि़तों की जुबानी, ठगी की कहानी-
केस नं.- 1
वर्ष 2014 में विंसार एग्रो ने हिण्डौन में ब्रांच ऑफिस खोला। निवेशकों को आकर्षक स्कीम के माध्यम से ख्याली पुलाव दिखा करोडों रुपए निवेश कराए। झांसे में आए मुझ सहित सैंकडों निवेशकों के करोडों रुपए की जमापूंजी हड़प कर वर्ष 2016 में यह कंपनी भाग गई। इसके बाद मंैने कोतवाली थाने में कम्पनी पर 12 लाख की ठगी का मामला दर्ज कराया।
-राजेन्द्र कुमार जेरिया, खोखलिया का पुरा।
केस नं.-2

वर्ष 2010 से लेकर 2015 तक विंसार, केएमजे, केबीसीएल, स्काई लॉर्क समेत कई चिटफंड कम्पनियों में लाखों रुपए आरडी, एफड़ी समेत विभिन्न योजनाओं में जमा कराए। लेकिन कम्पनियां रातों रात दफ्तर बंद कर भाग गईं। कई बार मथुरा, ग्वालियर व जयपुर स्थित कम्पनियों के कार्यालयों में जाकर जमापूंजी को लौटाने की गुहार की। लेकिन मेहनत से जमा की गई गाढ़ी कमाई के वापस नहीं मिल पाई है।
-देवीसिंह जाटव, लहचौड़ा।
केस नं.-3
वर्ष 2013 में स्काई लॉर्क चिटफंड कम्पनी ने शहर में ब्रांच ऑफिस खोला। चार वर्ष तक मुझ सहित सैंकडों निवेशकों के करोडों रुपए जमा किए और वर्ष 2017 में कारोबार समेट भाग गई। कोतवाली थाने में 65 लाख रुपए की ठगी का मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने कुछ आरोपी गिरफ्तार तो कर लिए, लेकिन जमाराशि के वापस मिलने की आस अभी अधूरी है।
-सुलेमान खान, करौली रोड़ हिण्डौनसिटी।
केस नं.- 4
स्काई लार्क कंपनी में लाखों रुपए इस उम्मीद से जमा कराए कि बच्चों का भविष्य बनाने में मदद मिलेगी। लेकिन सभी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। कम्पनी के अधिकारी रातों रात कार्यालय बंद कर फरार हो गए। सूरौठ थाने में 20 लाख रुपए की ठगी का मामला दर्ज कराया है। लेकिन रुपए मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही।
– निर्मलसिंह भगौर, विजयपुरा।
केस नं. 5
केबीसीएल कम्पनी में मुझ सहित परिवार के विभिन्न सदस्य व नाते रिश्तेदारों की लाखों रुपए की पॉलिसी कराई। लेकिन करीब दो वर्ष पहले कम्पनी विभिन्न योजनाओं में जमा कराए गए करोड़ों रुपए लेकर भाग गई। कोतवाली थाने में 13 करोड़ रुपए की ठगी की प्राथमिकी दर्ज कराई है। लेकिन रुपए मिलना तो दूर अभी तक कोई खास कार्रवाई नहीं हुई।
-सुरज्ञान जाटव, जाटव बस्ती हिण्डौनसिटी।

Home / Karauli / चिटफंड कम्पनियों के ‘माया’ जाल में निवेशक हुए कंगाल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो