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करौली में डेंगू के डंक के नाम पर कमाई का खेल,उपचार डेंगू का, विभाग मानता नहीं

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करौलीOct 25, 2018 / 10:32 pm

vinod sharma

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करौली में डेंगू के डंक के नाम पर कमाई का खेल,उपचार डेंगू का, विभाग मानता नहीं

करौली. जिला मुख्यालय पर चिकित्सकों ने अपनी निजी आय बढ़ाने की खातिर डेंगू का डर फैलाया हुआ है। इसका नमूना यह है कि बुखार कोई भी हो उसको डेंगू की आशंका मानकर उपचार किया जा रहा है। चिकित्सकों की उपचार डायरी से इन दिनों वायरल, मलेरिया बुखार तो गायब है और केवल डेंगू ही प्रचारित है। इन हालातों में मरीजों का आर्थिक दोहन करने का खेल लगातार जारी है।
बीते एक माह से अस्पताल के आउटडोर और इंडोर में मरीजों की आवक अन्य दिनों के मुकाबले में डेढ़ गुनी तक हुई है। इंडोर में पलंग उपलब्ध नहीं है। जमीन पर और एक पलंग पर २-३ मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इनमें अधिकांश बुखार से पीडि़त हैं जिनको डेंगू बताकर उपचार किया जा रहा है।
जानकार कहते हैं कि डेंगू का डर ऐसा है कि मरीज महंगी जांच और उपचार कराने को सहमत हो जाता है। वायरल को वो सहज भाव से लेता है जिसमें कमाई कम है। ऐसे में चिकित्सा पेशे से कमाई कर रहे डॉक्टरों, कार्मिकों, लैब वालों और दवाई वालों ने डेंगू को हौआ बनाकर प्रचारित कर रखा है।
एक ओर डेंगू बुखार के नाम पर मरीजों की महंगी जांच व उपचार किया जा रहा है। जबकि दूसरी ओर चिकित्सा विभाग रिकॉर्ड में डेंगू मानता नहीं है। इस कारणसे सरकारी स्तर से मरीजों को समुचित उपचार के प्रबंध किए गए हैं और न फोगिंग कराई जा रही है। इस गड़बड़झाले में जिले में डेंगू पर अंकुश लगाने का प्लान भी भी तैयार नहीं हुआ है। सवाल यह है कि जब मरीजों को रिकार्ड में डेंगू पीडि़त ही नहीं है तो चिकित्सक किस आधार पर उनका डेंगू उपचार कर रहे हैं।
निजी क्लीनिकों की जांच रिपोर्ट से भ्रांति चिकित्सा विभाग के अधिकारी करौली के राजकीय सामान्य अस्पताल में लगी हुई इलाईजा मशीन से जांच में डेंगू की पुष्टि होने पर ही डेंगू मानते हैं। इस मशीन से पूरे करौली जिले में डेढ़ माह में डेंगू के मरीज ६१ ही सामने आए हैं। इनमें भी हिण्डौन इलाके के मरीज अधिक हैं।
करौली में निजी क्लिीनिकों पर इस मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है। बावजूद इसके सरकारी चिकित्सकों द्वारा अस्पताल में इन निजी क्लिीनिकों की जांच को मान्यता देकर डेंगू उपचार धडल्ले से किया जा रहा है। इतना ही नहीं डॉक्टर तो सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट को बकवास बताकर मरीजों को बाजार में जांच के लिएप्रेरित करते हैं।
डेंगू का हौआ निजी क्लीनिकों से मिली जांच रिपोर्ट के कारण ही पैदा हुआ है। इन जांच रिपोर्ट में लगातार डेंगू मरीज सामने आरहे हैं जिनकी अस्पताल की मशीन से कराई जांच में पुष्टि नहीं होती। खास बात यह है कि बाजार की जांच रिपोर्ट को संलग्न कर चिकित्सक सम्बंधित मरीज को भर्ती करते हैं। उसका उपचार करते हैं।
जांच जल्दी, कमाई मोटी
डेंगू पीडि़तों की निजी क्लीनिकों पर जांच कार्ड के जरिए से की जाती है जिसकी लागत लगभग १५० रुपए आती है। इसके बदले में मरीजों से ७०० से हजार रुपएतक वसूले जा रहे हैं। सरकारी अस्पताल में यह जांच नि:शुल्क उपलब्ध है। चूंकि कमाई का जरिया निजी लैबों से हैं इसलिए डॉक्टर सहित चिकित्साकर्मी मरीज को निजी लैबों की राह दिखाते हैं। डेंगू की जांच के मामले में एक तथ्य यह है कि इलाइजां मशीन से जांच में छह से सात घंटे औसत रूप से लगते हैं। तब जाकर डेंगू की पुष्टि हो पाती है। जबकि निजी क्लीनिकों पर मात्र ३० मिनट से एक घंटे में कार्ड के जरिए जांच की जा रही है। तुरत-फुरत जांच रिपोर्ट सामने आने के कारण मरीजों को निजी लैब रास आ रही है। यह बात दीगर है कि इस जांच रिपोर्ट की खुद चिकित्सा विभाग में मान्यता नहीं है। खास बात यह है कि एक मरीज की जांच २-३ बार कराई जाती है। ऐसे में निजी लैबों की चांदी हो रही है।
हैरत की बात
चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार पूरे जिले में गत डेढ़ माह के दौरान ६१ डेंगू रोगी सामने आए हैं। जबकि करौली के अस्पताल के वार्डो में ही गुरुवार को ८० से अधिक बुखार से पीडि़त भर्ती थे। इनमें से ६६ मरीजों की जांच निजी लैबों पर कराई गई। इन जांच रिपोर्ट के आधार पर डेंगू बताकर उनको भर्ती किया गया और उपचार किया जा रहा है।
रिकॉर्ड पर हो तो बने प्लान
चूंकि सरकारी मशीन से हुई जांच में करौली में डेंगू रोगियों की संख्या एक माह में दो दर्जन भी नहीं है। इस कारणसे न फोगिंग हो पा रही है। न रोकथाम का विभाग प्लान बना पा रहा है। जबकि मरीज की इस नाम पर लुटाई चली रही है। असल में डेंगू के उपचार के नाम कमाई का खेल चल रहा है।
जांच इलाईजा से संभव
डेंगू की जांच केवल इलाईजा मशीन की ही प्रमाणिक होती है, जो सरकारी अस्पताल में लगी हुई है। जिले में ६१ डेंगू रोगी गत डेढ माह में सामने आए हैं। अस्पताल में मरीजों की कैसे जांच और उपचार किया जा रहा है, यह जांच का विषय है।
डॉ. पूरणमल वर्मा उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी करौली

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