”राजनीति में स्पष्टवादी लोगों को प्रवेश मिले। जो कथनी और करनी में एकरूपता रख सकें। राजनीति में लोगों को कथनी- करनी में सामंजस्य नजर नहीं आ रहा है। देश के विकास और राजनीति की शुद्धता के लिए जैसी कथनी वैसी करनी वाले लोगों की जरुरत है।”
पुष्पा मंगल , सेवानिवृत, अध्यापिका
”देश की राजनीति में जातिवाद हावी हो गया है। जाति और वर्ग के हितों के लिए देशहित पीछे छूट गया है। राजनीति में राष्ट्रवाद और अच्छे विचार वाले लोगों को तरजीह दी जाए। जो जाति-धर्म से ऊपर उठकर देश और समाज के बारे खुला सोच रखते हों।”
जगदीश प्रसाद शर्मा, सेवानिवृत प्रधानाचार्य
”राजनीतिक दल एक-दूसरी पार्टी से देश को मुक्त करने का अभियान छेड़े हुए हैं। लोकतंत्र में परस्पर दलीय अंत करने का विचार ठीक नहीं है। सभी दलों में ऐसे व्यक्ति अपनी जगह बनाएं जो भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति स्थापित कर सकें।”
अताउलहक नूरी, अधिवक्ता
”राजनीति सभी प्रकार के लोगों का खुला अखाड़ा बना हुआ है। सत्ता के स्वार्थ के चलते दागी और अपराधी प्रवृति के व्यक्तियों का बोलवाला है। राजनीति की इस तस्वीर को बदलना होगा। इसके लिए उच्च शिक्षित और स्वच्छ छवि के लोगों को राजनीति में खुल कर भागीदारी निभानी होगी। ”