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करौली

मैली हो रही आस्था की नदी,एनजीटी की रोक भी बेअसर, कैलादेवी की कालीसिल नदी

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करौलीMar 23, 2019 / 01:13 pm

vinod sharma

River of faith, malnutrition, NGC's ineffectiveness, Calicel river of CalaDevi

मैली हो रही आस्था की नदी,एनजीटी की रोक भी बेअसर, कैलादेवी की कालीसिल नदी


करौली. कैलादेवी आस्थाधाम की पवित्र कालीसिल नदी प्रदूषित होने से श्रद्धालुओं की आस्थाएं आहत हो रही हैं। खास बात यह है कि इस नदी की स्वच्छता को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेश के बाद बेअसर रहे हैं।
कैलादेवी के दर्शन करने से पहले आस्थाधाम में बहने वाली पवित्र नदी कालीसिल नदी में स्नान करने की धार्मिक मान्यता प्रचलित है। लेकिन इस नदी की गंदगी को देख श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही है। १० दिन बाद शुरू हो रहे कैलादेवी मेले में नदी में गंदगी की हालत और बदतर होने की आशंका से लोग चिंतित हैं।
इस नदीं में बरसाती पानी जमा होता है। इस पानी को कस्बे की नालियों से आने वाला पानी दूषित कर रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद भी नदी में छोड़े गए गटर के नालों पर रोक नहीं लग पाई है, जिससे नदी का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। १० दिन बाद शुरू होने वाले मेले में बड़े स्तर पर गंदगी नदी में जाने से यहां गंदगी और बढ़ेगी। नदी के पानी को प्रदूषित होने से रोकने के लिएपंचायत तथा प्रशासन के पास कोई कार्ययोजना नहीं है।
गत दिनों नदी पर पहुंचे जिला कलक्टर ने इसकी दुर्दशा पर नाराजगी जताते सुधार की हिदायत अधिकारियों को दी। लेकिन इसकी भी पालना नहीं हुई है। कालीसिल नदी लम्बे समय से उपेक्षा की शिकार है। लगभग दो वर्ष पहले कालीसिल नदी के प्रदूषणका मामला एनजीटी में पहुंचा था। तब एनजीटी ने भारत सरकार, राज्य सरकार, जिला कलक्टर व कैलादेवी पंचायत की सरपंच को नोटिस जारी कर कालीसिल नदी का मूल स्वरुप को बनाए रखने की हिदायत दी थी। इसके लिएनदी में गिरते नालों पर त्तकाल रोक लगाने के लिएपाबंद किया गया था। इसके बाद प्रशासन व ग्राम पंचायत ने नदी के आसपास कुछ सफाई की तथा धर्मशाला संचालकों को अपने नालों से गंदे पानी को नदी में प्रवाहित नहीं करने की हिादयत दी थी। लेकिन इन नालों के जरिएसे गंदगी नदी में जाने से थम नहीं पाई है। एक अप्रेल से शुरू होने वाले मेले के दौरान नदी में और अधिक गंदगी पहुंचेगी।
१५ नालों की गंदगी नदी में जा रही
नदी के दूषित होने का सबसे बड़ा कारण जिला प्रशासन, पंचायत व कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों की अनदेखी है। कैलादेवी में सीवरेज प्लांट नहीं है। इस कारण से १५ नालों से गंदगी नदी में पहुंचती है। बांसवेरी का घाट, कालीदह, पुरानी पानी की टंकी, छेरी की घटिया, अजमेरी वाली धर्मशाला के पास, बस स्टैण्ड तथा पुराने रेंज कार्यालय के नाले की गंदगी सीधे ही नदी में प्रवाहित हो रही है।
पहाडिय़ों से निकली नदी
विन्धयचल व अरावली की पहाडिय़ों से कालीसिल नदी कैलादेवी कस्बे में दो किलीमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। इसकी चौड़ाई ३०० मीटर है। काफी समय पहले इस नदी में पानी बहता रहता, लेकिन बाद में पाळ बनाकर बांध का पानी रोक दिया गया। यह नदी कैलादेवी से सपोटरा के कालीसिल बांध में पहुंचती है। कैलादेवी-सपोटरा क्षेत्र में इसे जीवनदायनी माना जाता है।
सुधार के उपाय शुरू हुए हैं
कालीसिल नदी के मूल स्वरुप को बचाए रखने के लिए सुधार के उपाय शुरू हुए हैं। शौचालयों का निर्माण करा दिया गया है, धर्मशाला संचालकों को भी नालों के पानी को नदी में नहीं डालने के लिए पाबंद किया जाएगा। नदी को प्रदूषित करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
नन्नूमल पहाडिय़ा जिला कलक्टर करौली
कार्रवाई के लिए जाब्ता मांगा है
एनजीटी के आदेश के बाद कुछ कार्रवाई हुई, लेकिन मेले में नदी को बचाने के लिए पुलिस-प्रशासन से जाब्ता मांगा है। धर्मशालाओं के शौचालयों की गंदगी मेले में जा रही है। इस कारण नियमों का उल्लंघन करने वाली धर्मशालाओं को सीज करने के लिए पुलिस-प्रशासन से जाब्ता मांगा है।
फूलवती मीना सरपंच कैलादेवी
कोई-धणी धोरी नहीं है
आस्था की पवित्र कालीसिल नदी में गटर के नालों की गंदगी जा रही है। नदी मूल स्वरूप खो रही है। एनजीटी के आदेश के बाद भी नदी की सुध नहीं ली गई है।
प्रेमसिंह मीना युवक कैलादेवी
सीवरेज प्लांट की जरूरत
कालीसिल नदी को बचाने के लिए सीवरेज प्लांट की जरूरत है। इसके बाद ही नदी में जाने वाली गंदगी पर रोक लग पाएगी। ट्रस्ट की धर्मशालाओं की गंदगी नदी में नहीं जाने दी जाएगी।
गिर्राज प्रसाद शर्मा विशेषाधिकारी कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट कैलादेवी

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