ये हुए बदलाव कक्षा 1 से 8 तक के180 छात्र-छात्राओं के इस स्कूल भवन काफी खराब स्थिति में था। इस पर 6 शिक्षकों ने अपने वेतन से कुछ कुछ राशि बचाकर स्कूल में लगाना शुरू किया।
स्टाफ सदस्यों ने इसकी सफाई के बाद तिरंगा कलर में रंग रोगन करवाया। मैदान में पेड़ पौधे लगाए। विद्यालय भवन के रंग-रोगन से सूरत बदलने के साथ ही दीवारों पर आकर्षक ढंग से बालिका शिक्षा, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य व स्वच्छता संबंधी स्लोगन लिखे गए हैं। छात्र व छात्राओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था की। अलग-अलग साफ शौचालय तैयार किए गए। स्कूल में पंखे व लाइट के साथ ही बिजली की व्यवस्था कराई गई। इनके लिए पानी की व्यवस्था विद्यालय स्टाफ द्वारा की जाती है। स्टाफ सदस्यों में प्रधानाध्यापक भूर सिंह मीणा महेंद्र सिंह चौहान धीरेंद्र शर्मा सोनू जाटव दिनेश चंद मीणा राम सिंह मीणा अध्यापिका रानी चौधरी शामिल हैं। शिक्षक बताते हैं कि हर सप्ताह 700 का एक टैंकर पानी मंगवाना पड़ता है। इससे पौधों के साथ स्कूल की अन्य जरूरतों को पूरा किया जाता है। ग्राम पंचायत सरपंच द्वारा, पूरे आंगन में सीसी निर्माण करवा दिया।
बच्चों की पढ़ाई में बढ़ी रुचि
पहले स्कूल में बच्चे पढऩे आने से कतराते थे। अब स्कूल साफ सुथरा हुआ और शिक्षा का माहौल बना तो बच्चों को घरों से बुलाकर लाने की जरूरत खत्म हो गई। अभिभावकों ने जब बदलाव महसूस किया तो बच्चों को समय से स्कूल भेजने लगे हैं। बच्चों की भी रुचि बढ़ी है। शिक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने स्कूल में कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को अपने लेपटॉप से शिक्षा देनी शुरू की तो बच्चों की रुचि और बढ़ी है।