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करौली

साक्षर मां के हौंसलों से बेटे ने भरी उड़ान,हताशा में मां ही बनी सहारा, मां का संदेश-खुद को बेहतर बनाओ

The boy’s flight from literary mother, mother made in desperation, mother’s message-make yourself better

करौलीMay 12, 2019 / 09:48 pm

vinod sharma

The boy's flight from literary mother, mother made in desperation, mot

साक्षर मां के हौंसलों से बेटे ने भरी उड़ान,हताशा में मां ही बनी सहारा, मां का संदेश-खुद को बेहतर बनाओ

विनोद शर्मा
करौली. कहते है संकट के समय मां और भगवान ही याद आते है। वे ही सहारा भी बनते हैं। ऐसा ही हुआ आईएएस बने आनंद प्रकाश के जीवन में। सपोटरा के तुरसंगपुरा गांव के निवासी आनंद प्रकाश आज आईएएस बन चुके हैं लेकिन उनके जीवन में ऐसा ब्रेक आया था, तब मां की नसीहत ने सम्बल दिया जिसकी बदौलत ही वे अपने को इस मुकाम पर पाते हैं। आनंद प्रकाश की मां रामहरि केवल साक्षर है। उसने अपने दो पुत्रों को अन्य से कम्पटीशन करने की बजाय खुद को बेेहतर साबित करने की सीख दी। इसी का परिणाम है कि एक बेटा आनंद प्रकाश आईएएस बन गया तथा दूसरा कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियर है।
आनंद प्रकाश के अनुसार 12वीं कक्षा में पीलिया हो गया, जिससे वह गणित का पेपर नहीं दे पाए। सप्लीमेंट्री आने पर वह हताश हो गए। एक साल का ब्रेक लग गया। उसके साथियों ने 12वीं अच्छे अंकों से उतीर्ण करके इंजीनियरिंग में प्रवेश ले लिया। इसके बाद वह हताश होकर गुमसुम रहने लगे। लेकिन मां ने पढ़ाई का किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला। रोजाना तीन- चार घंटे की पढ़ाई करने की कहती थी। वर्ष २०१३ में फिर से १2वीं की परीक्षा दी और ७० प्रतिशत अंक प्राप्त किए।
आनंद ने इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया। बाद में इंजीनियरिंग की पढ़ाई में भी ब्रेक लगा। दो-तीन प्रेक्टीकल में नम्बर कम आने से फिर हताशा मन में आई। लेकिन मां ने मनोबल को टूटने नहीं दिया। मां ने एक ही बात दोहराती थी कि किसी भी दोस्त से कम्पटीशन मत कर। सिर्फ अपनी मेहनत करते रहो। आनंद गर्व से कहते हैं कि मां चाहें साक्षर हैं लेकिन उनकी आईएएस बनने की किताब मां ने ही लिखी है। आनंद के पिता मुरारी मीना सेना में थे। इस कारण दोनों बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा मां रामहरि मीना ने संभाला।
बड़े भाई का भी रखा ख्याल
एक तरफ रामहरि आनंद प्रकाश की हौंसला अफजाई करती। साथ ही बडे बेटे जयप्रकाश नारायण का भी ध्यान रखती। जयप्रकाश भी कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियर है। रामहरि के पति मुरारीलाल फौजी बताते हैं कि वो तो सेना में थे। छुट्टी कम मिलने से घर कम आते थे। इस कारण दोनों बेटों की पढ़ाई का जिम्मा उनकी पत्नी ने ही उठाया। उसने कभी भी बेटों पर पढ़ाई के लिए दबाव नहीं बनाया, वो सिर्फ अपने को बेहतर बनाने की कहती रहती।
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