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करौली में उद्योगपतियों और व्यवसायियों से चर्चा: लॉकडाउन से व्यवसायी आहत, सरकार से कर रहे आस

कोरोना संक्रमण को रोकने की मंशा से चल रहे लॉक डाउन के कारण करौली इलाके के प्रमुख उद्योग और व्यवसाय ठप पड़े हैं। आगामी दिनों में भी इनके वापस पटरी पर आने तथा मौजूदा स्थिति का मुकाबला करने को लेकर विभिन्न उद्योग और व्यवसाय से जुड़े लोग चिंतित हैं।

करौलीApr 09, 2020 / 06:51 pm

Kamlesh Sharma

video conferencing Patrika with businessman in Karauli

कोरोना संक्रमण को रोकने की मंशा से चल रहे लॉक डाउन के कारण करौली इलाके के प्रमुख उद्योग और व्यवसाय ठप पड़े हैं। आगामी दिनों में भी इनके वापस पटरी पर आने तथा मौजूदा स्थिति का मुकाबला करने को लेकर विभिन्न उद्योग और व्यवसाय से जुड़े लोग चिंतित हैं।

करौली। कोरोना संक्रमण को रोकने की मंशा से चल रहे लॉक डाउन के कारण करौली इलाके के प्रमुख उद्योग और व्यवसाय ठप पड़े हैं। आगामी दिनों में भी इनके वापस पटरी पर आने तथा मौजूदा स्थिति का मुकाबला करने को लेकर विभिन्न उद्योग और व्यवसाय से जुड़े लोग चिंतित हैं। इस बारे में पत्रिका नें प्रमुख व्यवसायियों से चर्चा की तो वे वर्तमान हालात में काफी आहत दिखे। वे सरकार से राहत की आस लगाए हैं।
करौली में सैण्ड स्टोन का प्रमुख कारोबार है जिससे अन्य व्यवसाय भी जुड़े हैं। बीते लगभग 21 दिन से यह सैण्ड स्टोन का धंधा पूरी तरह से ठप है। इससे सैंकड़ों व्यवसायी और हजारों मजदूर बेरोजगारी की स्थिति में हैं। सैण्ड स्टोन से सीधे तौर पर जुड़ा परिवहन कारोबार भी चौपट स्थिति में हैं।
माइनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष मदनमोहन पचौरी कहते हैं कि इन दिनों की परिस्थिति में सरकार को पत्थर मजदूरों को राहत का पैकेज देना चाहिए। ये मजदूर वेतन भोगी नहीं है। ऐसे में इनको सरकार से ही मदद की दरकार है। पत्थर व्यवसायियों से अभी भी शुल्क वसूली की जा रही है। जबकि शुल्क वसूली के साथ उनके ऋणों की किस्त जमा कराने में सरकार को छूट देनी चाहिए।
माइनिंग एसोसिएशन के सचिव पूरण प्रताप चतुर्वेदी को हैरत हो रही है कि जब सभी कोरोना लॅाकडाउन से आहत है तब राज्य सरकार ने खनिज व्यवसाय पर एक अप्रेल से नया लैण्ड टैक्स लागू कर दिया है। जबकि इस दौर में जब पत्थर खदानें बंद पड़ी हैं, सरकार को खनिज पट्टों के स्थायी शुल्क (डेड रेन्ट), रॉयल्टी तथा अन्य शुल्कों पर रियायत देनी चाहिए। उनका मानना है कि सरकार का सम्बल नहीं मिला तो लॉक डाउन हटने के बाद भी सैण्ड स्टोन का कारोबार संभल नहीं सकेगा।
करौली में चूडी उद्योग का कारोबार भी काफी बड़े स्तर पर होता है। इससे जुड़े मोहम्मद जफर तथा जीनत कौशर का कहना है कि अकेले करौली शहर में चूडियों का प्रतिदिन ५ लाख रुपए का व्यवसाय चौपट हो रहा है। इसके अलावा बड़े शहरों में भी माल की सप्लाई होती है। वो भी बंद पड़ी है। गणगौर के पर्व तथा कैलादेवी मेले में तो काफी अच्छा धंधा चलता था। इसके लिए पहले से ही स्टॉक भी सभी व्यवसायियों ने जमा कर लिया लेकिन करोड़ों रुपए का इस कारोबार को नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई करना मुश्किल है। इस कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार से ही राहत पैकेज की उम्मीद करते हैं।
यहां के प्रमुख उद्योगपति हाजी रुखसार का मानना है कि इस दौर में लकड़ी के खिलौने, चूडी, सैण्ड स्टोन के उत्पादों के कुटीर उद्योग को सरकारी संरक्षण की विशेष आवश्यकता है। सरकार को ऐसे उद्योगों को शुरू करा देना चाहिए जो घरों पर किए जा सकते हैं। साथ ही टैक्स में माफी तो कुछ समय के लिए देना जरूरी हो गया है। तभी छोटे व्यवसायी संभल पाएंगे।
होटल व्यवसाय से जुड़े सतीश व्यास का कहना है कि होटल बंद पड़े हैं लेकिन उनमें साफ-सफाई, बिजली सहित अन्य खर्चे यथावत हैं। लॉक डाउन खत्म होने के कुछ माह बाद तक भी होटलों पर व्यवसाय की स्थिति सुधर नहीं पाएगी। ऐसे में सरकार को कुछ माह के लिए जीएसटी और बिजली के बिलों में छूट देनी चाहिए। साथ ही इस व्यवसाय पर जो ऋण हैं उनकी वसूली कुछ माह के लिए स्थगित करनाभी उचित कदम होगा।
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