हरियाणा के विभिन्न कर्मचारी संगठन पिछले लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। प्रदेश सरकार कर्मचारियों की इस मांग पर गंभीर नहीं है। विपक्षी राजनीतिक दल भी खुलकर कर्मचारियों के विरोध अथवा समर्थन में कुछ नहीं बोल रहे हैं। उक्त कर्मचारियों ने हाल ही में करनाल में सरकार के विरूद्ध एक रैली का आयोजन करके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी बुलाया था।
इस उठापटक के बीच अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाली योजना को लागू करने का ऐलान करके बड़ा दांव खेल दिया है। दिल्ली तीन तरफ से हरियाणा से घिरा हुआ है। दिल्ली व हरियाणा के राजनीतिक घटनाक्रम आपस में मेल खाते हैं। केजरीवाल ने सार्वजनिक मंच से यह घोषणा करने के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव पारित करके एलजी को भेज दिया है। अब यह मामला पूरी तरह से केंद्र सरकार के पाले में चला गया है। क्योंकि पुरानी पेंशन बहाली के लिए राज्य सरकारों की सिफारिश पर केंद्र सरकार लोकसभा में विधेयक को संशोधित करके लागू करेगी।
केजरीवाल ने सार्वजनिक मंच से यह ऐलान करके खुद को न केवल सेफ जोन में खड़ा कर लिया है बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा की सत्तारूढ़ मनोहर सरकार के लिए भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। क्योंकि हरियाणा में कर्मचारी संगठन लंबे समय से पेंशन बहाली की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। कांग्रेसी पार्टी द्वारा कर्मचारी संगठनों की इस मांग का समर्थन तो किया जा रहा है लेकिन खुलकर उनके संघर्ष में सहयोग नहीं किया गया है। दूसरी तरफ कांग्रेस शासित प्रदेशों में अभी यह मुद्दा शांत है। दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद अब हरियाणा की मनोहर सरकार भी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली पर ठोस निर्णय लेने के लिए सोचने पर मजबूर हो गई है।
आम आदमी पार्टी कर्मचारियों के साथ
आम आदमी पार्टी, हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि आम आदमी पार्टी कर्मचारियों की मांगों का पूरी तरह से समर्थन करती है। पुरानी पेंशन योजना को लागू करना कर्मचारियों के हित में है। हरियाणा में आप की सरकार बनते ही इसे फौरी तौर पर लागू किया जाएगा।