ये था मामला
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी अफसरों को सुबह नौ बजे ऑफिस पहुंचकर जनसुनवाई का आदेश दिया था। सीएम योगी के इस आदेश के बाद एसपी अशोक कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे मीडियाकर्मियों से बात करते दिख रहे थे। इस वीडियो में वे कह रहे थे कि ‘पुलिस पर ये नियम लागू नहीं होना चाहिए। ये तो हंटर है। आप हमें टाइट रखिए। हमसे काम लीजिए लेकिन पुलिस से ये उम्मीद नहीं रखनी चाहिए कि वह देर रात वह काम करने के बाद सुबह 8-9 बजे फिर आकर दफ्तर बैठ जाए। ये किसी हद तक टॉर्चर है।
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डीजीपी ने मांगा था स्पष्टीकरण
एसपी के इस बयान को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद एसपी अशोक कुमार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया था। वीडियो वायरल होने के बाद एसपी ने अपनी सफाई देते हुए कहा था कि ‘सीएम के निर्देश पर कोई सवाल नहीं किया जा सकता और हमें सरकारी नौकर होने के नाते उनका पालन करना है। उनका कहना था कि वीडियो के साथ कांटछांट की गई है और मीडिया ने उनके बयान का गलत मतलब निकाला है। अब जब 22 आईपीएस के तबादले की सूची में एसपी अशोक कुमार का नाम आने के बाद लोग इसे सीएम योगी के आदेश पर टिप्पणी करने के मामले में हुई कार्रवाई के रूप में देख रहे हैं।