scriptसिर्फ भगवान हनुमान ने नहीं जलायी थी रावण की लंका, जानिए और कौन था उनके साथ… | hanuman not burn lanka alone, fact according to ramcharitmanas | Patrika News
कासगंज

सिर्फ भगवान हनुमान ने नहीं जलायी थी रावण की लंका, जानिए और कौन था उनके साथ…

विद्वानों के अनुसार रामचरित मानस में इस बात का उल्लेख हैं कि लंका केवल हनुमान ने नहीं, बल्कि पांच लोगों ने मिलकर जलाई थी।

कासगंजMay 08, 2019 / 02:09 pm

suchita mishra

इस बात की जानकारी अब तक बहुत कम लोगों को होगी कि रावण की लंका केवल हनुमान ने नहीं, बल्कि पांच लोगों ने मिलकर जलाई थी। जब-जब रावण की लंका की बात होती है तो सबसे पहले हनुमान द्वारा उसको जलाने की बात याद आती है। लेकिन रावण की लंका केवल हनुमान ने नहीं, बल्कि पांच लोगों ने मिलकर जलाई थी। विद्वानों के अनुसार रामचरित मानस में इस बात का उल्लेख हैं कि लंका केवल हनुमान ने नहीं, बल्कि पांच लोगों ने मिलकर जलाई थी..
लंका दहन के बाद जब हनुमान जी वापस श्रीराम के पास पहुंचे तो उन्होंने पूछा मैंने तो आपको सीता की कुशलक्षेम लेने भेजा था। आपने तो लंका ही जला डाली। तब परम बुद्धिमान हनुमान जी ने भगवान राम को उत्तर देते हुए कहा। महाराज लंका मैंने नहीं बल्कि आप सहित पांच लोगों ने मिलकर जलाई है। आश्चर्य से भगवान राम ने पूछा कैसे और किन पांच लोगों ने लंका जलाई और मैं कैसे शामिल हूं…
हनुमान जी कहा कि प्रभु लंका जलाई आपने…, रावण के पाप ने…., सीता के संताप ने…, विभीषण के जाप ने…. और मेरे पिता ने।
जब श्री राम ने इस में पूछा कि यह कैसे तो हनुमान जी ने इसका जो उत्तर दिया वह आप भी पढि़ए कैसे-
1- लंका जलाई आपने : – हनुमान जी ने कहा भगवान सभी को पता है कि बिना आपकी मर्जी के पत्ता तक नहीं हिलता। फिर लंका दहन तो बहुत बड़ी बात है। हनुमान जी ने कहा कि जब मैं अशोक बाटिका में छिपकर सीता माता से मिलना चाह रहा था, वहां राक्षसियों का झुंड था। जिनमें एक आपकी भक्त त्रिजटा भी थी। उसने मुझे संकेत दिया था कि आपने मेरे जरिए पहले से ही लंका दहन की तैयारी कर रखी है। इसे तुलसीदास ने भी रचित रामचरित मानस में लिखा है कि जब हनुमान पेड़ पर बैठे थे, त्रिजटा राक्षसियों से कह रही थी-
सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना
सीतहि सेई करौ हित अपना।
सपने बानर लंका जारी,
जातुधान सेना सब मारी।
यह सपना मैं कहौं पुकारी
होइहि सत्य गये दिन चारी।

2- रावण के पाप ने : – हनुमान जी ने कहा हे प्रभु भला मैं कैसे लंका जला सकता हूं। उसके लिए तो रावण खुद ही जिम्मेदार है। क्योंकि वेदों में लिखा है, जिस शरीर के द्वारा या फिर जिस नगरी में लोभ, वासना, क्रोध, पाप बढ़ जाता है, उसका विनाश सुनिश्चित है। तुलसीदास लिखते हैं कि हनुमान जी रावण से कह रहे हैं-
सुनु दसकंठ कहऊं पन रोपी,
बिमुख राम त्राता नहिं कोपी।
संकर सहस बिष्नु अज तोही,
सकहिं न राखि राम कर द्रोही।

3- सीता के संताप ने : – हनुमान जी ने श्रीराम से कहाए प्रभु रावण की लंका जलाने के लिए सीता माता की भूमिका भी अहम है। जहां पर सती-सावित्री महिला पर अत्याचार होते हैं, उस देश का विनाश सुनिश्चित है। सीता माता के संताप यानी दुख की वजह से लंका दहन हुआ है। सीता के दुख के बारे में रामचरित मानस में लिखा है-
कृस तनु सीस जटा एक बेनी,
जपति ह्रदय रघुपति गुन श्रेनी।
निज पद नयन दिएं मन रामम पद कमल लीन
परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन।।

4- लंका जलाई विभीषण के जाप ने : – हनुमान जी ने कहा कि हे राम! यह सर्वविदित है कि आप हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। और विभीषण आपके परम भक्त थे। वह लंका में राक्षसों के बीच रहकर राम का नाम जपते थे। उनका जाप भी एक बड़ी वजह है लंका दहन के लिए। रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कि लंका में विभीषण जी का रहन-सहन कैसा था-
रामायुध अंकित गृह शोभा बरनि न जाई
नव तुलसिका बृंद तहं देखि हरषि कपिराई।

5- लंका जलाई मेरे पिता ने : – हनुमान जी ने कहा भगवन लंका जलाने वाले पांचवें सदस्य मेरे पिता जी पवन देव हैं, क्योंकि जब मेरी पूंछ से एक घर में आग लगी थी तो मेरे पिता ने भी हवाओं को छोड़ दिया था। जिससे लंका में हर तरफ आग लग गई।
तुलसीदास जी ने लिखा है-

हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास
अट्टहास करि गरजा पुनि बढि लाग अकास।
सिया राम सब जग जानी…
करेहूं प्रणाम जोरी जुग जानी…

ईश्वर में समस्त जग बसता है. .उन्ही के प्रेरणा से ही सब कार्य चल रहे हैं…जब हनुमान जी लंका जलाने जैसे बडे कार्य में अपने को निमित्त मात्र मानते हैं. .तो हम साधारण व्यक्ति अपने किये हुये किसी कार्य का घमंड न करें…इसी भाव के साथ आनंदमयी संध्या का प्रणाम…
उमा सहित यही जपत पुरारी…सीता राम जय सीता राम

Home / Kasganj / सिर्फ भगवान हनुमान ने नहीं जलायी थी रावण की लंका, जानिए और कौन था उनके साथ…

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो