पत्रिका टीम ने जब चंदन के पिता से बात की तो उन्होंने बताया कि जब चंदन छोटा था, तो भी 15 अगस्त और 26 जनवरी को तिरंगा हाथों में लेकर दोस्तों के साथ घूमता था। अब जब युवा हुआ, तो ये बच्चे बाइकों से तिरंगा यात्रा निकालते थे। यह क्रम अभी से नहीं, कई वर्षों से चला आ रहा था, लेकिन इस बार उसके साथ ये अनहोनी होगी, उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। इस बार बेटा तिरंगा के साथ लौटा, लेकिन उसका ये हाल देख, परिजन की मानो दुनिया ही उजड़ गई। घर का लाल उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर चला गया था।
कासगंज में मिनी पाकिस्तान
सुशील कुमार गुप्ता ने बताया कि कासगंज प्रशासन अभी भी शांत बैठा हुआ है। सरकार पता नहीं क्या कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस जगह घटना हुई, उसे मिनी पाकिस्तान कहा जाता है। वहां पर मेरे बेटे के साथ उन्होंने जो सुलूक किया, वो भारत मां के किसी बेटे के साथ न हो। अरे पत्थर मार देते, लेकिन उन दरिंदों ने तो चंदन के सीने में गोली ही उतार दी।