scriptबिहार का नाम रौशन कर रहे हैं सामाजिक व्यवसायी उत्कर्ष किशोर, रतन टाटा की कहानी से हुए प्रेरित | Utkarsh Kishor brightening up Bihar's name, inspired by Ratan Tata | Patrika News
काठमांडू

बिहार का नाम रौशन कर रहे हैं सामाजिक व्यवसायी उत्कर्ष किशोर, रतन टाटा की कहानी से हुए प्रेरित

भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में अपने धर्मार्थ ट्रस्टों का नेतृत्व कर रहे रतन टाटा की कहानी से प्रेरित होकर बिहार के उत्कर्ष ने की सफलता की शुरुआत। उत्कर्ष एक बेहद सफल सामाजिक उद्यमी हैं।

काठमांडूOct 06, 2021 / 07:17 pm

मसूद आलम

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भारतीय उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में अपने धर्मार्थ ट्रस्टों का नेतृत्व कर रहे रतन टाटा की कहानी से प्रेरित होकर बिहार के उत्कर्ष ने की सफलता की शुरुआत। उत्कर्ष एक बेहद सफल सामाजिक उद्यमी हैं। और साथ ही साथ वह परोपकारी कार्यों में भी अपना योगदान देते हुए आए हैं। और इसके अतिरिक्त वह अपनी खुद की कमाई और अपने कौशल व विचारों को भी दान करने में विश्वास रखते हैं। उत्कर्ष आज के समय में कॉस्मो ड्राइव प्राइवेट लिमिटेड और आर बी टेक जैसे दो कंपनियों के मालिक हैं। रतन टाटा से ही प्रेरणा लेकर उन्होंने टीमयूके के पीछे भी अपना दिमाग लगाया है जो की आज एक अद्वितीय सामाजिक उद्यम बन चुका है। उत्कर्ष इसके माध्यम से कई जन जागरूकता कार्यक्रमों में भी निवेश कर रहे हैं।

बता दें कि अन्य गैर सरकारी संगठनों की तुलना में उनका धर्मार्थ व्यवसाय बहुत अधिक है। समाज के वंचित वर्गों के लिए और उनकी जीवन से जुड़ी विशिष्ट समस्याओं के विषय में उत्कर्ष जागरूकता पैदा करने और उन पर ध्यान केंद्रित करने वाले कार्य भी किया करते है। उत्कर्ष किशोर की टीमयूके लड़कियों के बीच हमेशा ही मासिक धर्म स्वच्छता के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती है इतना ही नही वह सैनिटरी पैड भी वितरित किया करती है। दान के साथ जागरूकता का मेल वाला यह अद्भुत संयोजन बहुत कम देखने को मिलता है। उत्कर्ष के टीमयूके द्वारा किए गए प्रयासों ने भविष्य में लोगों के लिए भी ऐसी वस्तुओं का उपयोग करना सरल व संभव बना दिया है।

बिहार का नाम रौशन करने वाले उत्कर्ष सामाजिक-आर्थिक मुद्दों से बेहद अच्छी तरह वाकिफ है। वह टीमयूके के संस्थापक होने के नाते, पिछड़े वर्ग के लोगों के परोपकार में जुटे हुए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते समय से ही उन्होंने अपने जीवन को इस तरह से ढांचा दिया की आज के समय में उन्हें इस क्षेत्र में एक अलग मुकाम मिल रहा। वह ग्रामीण वर्ग के लोगों के लिए कार्य करने में सजग हैं और उनका उद्देश्य है की वह समाज में बदलाव ला सकें।

उत्कर्ष हमेशा से ही रतन टाटा जी के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेकर कार्य करते आए हैं। हालांकि वह देश के सबसे पिछड़े राज्यों में से एक से आते हैं, इसलिए वह आजीविका के साथ जुड़ कर कार्य करने के महत्व को समझते हैं और साथ ही लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने में मदद करने के बजाय उन्हें गैर सरकारी संगठनों द्वारा कहीं और दिए जाने वाले सामान्य दान पर भी निर्भर करते हैं।

उन्होंने COVID-19 महामारी के समय भी उन सभी को नौकरी दी जो की डेली वेजेज वरकर के रूप में कार्य करते थें। उन्होंने न केवल अपनी कमाई बल्कि अपने कौशल को भी लोक कल्याण में योगदान देने का निश्चय किया है। उनके उद्यम, टीमयूके ने पूरे बिहार में करीब 8000 परिवारों को नौकरी, बुनियादी सुविधाएं और कई रूप से सहायता प्रदान किया है।

उत्कर्ष रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई कुछ पंक्तियों से काफी प्रभावित हैं और वह इसे अपने असल जिंदगी में एक मूल मंत्र मानते हैं, “तेजस्वी सम्मान खोजते नहीं गोत्र बतला के, पाते हैं जग में प्रशस्ति अपना करतब दिखला के। हीन मूल की ओर देख जग गलत कहे या ठीक, वीर खींच कर ही रहते हैं इतिहासों में लीक।”
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