सेवई के खरीदार नेपाल-बंगाल भी
बीस वर्षों से संजय सेवई फैक्ट्री में अलग अलग किस्म की जायकेदार सेवई का उत्पादन हो रहा है। यहां के खरीदार भी कम नहीं। सीमांचल के इस कारखाने से सेवई की सप्लाई पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल तथा पड़ोसी देश नेपाल तक होती है। सेवई का उत्पादन भी वेराइटी वाला है। यहां 70 से लेकर 120 रुपये रोक मूल्य की डालडा सेवई, घी सेवई, रूमाली सेवई का उत्पादन होता है। लोग इसके स्वाद के कायल हैं और दूर दराजों से खरीदने आते हैं।
मिसाल कायम की
संजय चौरसिया बताते हैं कि कस्टमर ही उनके लिए भगवान हैं।सेवई का उत्पादन पूरी साफ -सफाई और त्योहारों को ध्यान में रखकर किया जाता है। संजय कहते हैं कि यह काम मैं इतने वर्षों से मुनाफे को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि सेवा भावना से करता आ रहा हूं। घरों में मिठास घोलने का मुझे बड़ा फख्र है। कोरोना संकट में दूर दराज के खरीदारों की कमी थोड़ी अखरने वाली वाली है।
सोशल डिस्टेंसिंग मापदंडों का पालन
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के बीच सेवई उत्पादन में सभी मापदंडों का पालन किया गया।साफ – सफाई का पूरा ध्यान रखा गया। सभी कारीगरों को मास्क, ग्लोब्स और सिर के कैंप पहनने की अनिवार्यता के बीच उत्पादन कार्य में सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया। संजय का कहना है कि कारीगरों को सेनिटाइज करने के बाद ही कारखाने में प्रवेश दिया जाता रहा है। उत्पादित सेवई पूरी तरह सुरक्षित और मिठास घोलने वाली होती है। लाभा के करीमुद्दीन बताते हैं कि संजय सेवई के हम सभी पुराने शौकीन हैं।ईद में यही सेवई हमारे घरों में वर्षों से बनती आ रही है।