जिलेभर की 304 निजी स्कूलों में आरटीइ के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश दिए जाने की 8 जून से प्रक्रिया शुरू हुई थी। शिक्षण सत्र 17-18की अपेक्षा इस शिक्षण सत्र में सरकार ने दो गुना से अधिक सीटें बढ़ाई। 4015 कर दिया। उसके बाद भी छात्रों ने एडमिशन नहीं लिया। 8 जून से शुरू हुई एडमिशन प्रक्रिया भी अब बंद हो चुकी है। प्रवेश प्रभारी से मिली जानकारी के अनुसार जिलेभर की 304 स्कूलों में सिर्फ 2399 आवेदन आए। 2240 की लॉटरी खुली। 1439 छात्रों के आवेदन पात्र पाए गए। अब इन छात्रों को 16 अगस्त तक दाखिला दिलाया जाएगा। निजी स्कूलों को आधार कार्ड से सत्यापन कर प्रवेश लेने वाले छात्रों की जानकारी बीआरसी या जिला कार्यालय को भेजनी होगी।
फीस प्रतिपूर्ति की नहीं मिली राशि
आरटीइ के तहत जिले की निजी स्कूलों में एडमिशन कम होने की प्रमुख वजह निजी स्कूल संचालकों का बॉयोमेट्रिक व आधार सत्यापन को लेकर नाराज होना था। शासन द्वारा की गई सख्ती के विरोध में निजी स्कूल संचालकों ने आरटीइ के तहत बच्चों को प्रवेश दिलाने में रूचि नहीं दिखाई। निजी स्कूल एसोसिएशन के कार्यकारी अध्यक्ष अनिल गर्ग ने बताया कि शासन द्वारा फीस प्रतिपूर्ति की राशि नहीं दी गई है। फीस प्रतिपूर्ति के लिए जो जानकारी मांगी गई थी, वह समय पर जिले के शिक्षा विभाग को भेजी जा चुकी है। पैसा नहीं मिलने के कारण निजी स्कूल संचालकों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। आरटीइ के तहत बच्चों को प्रवेश दिलाने का काम सरकारी विभाग का है। उन्हीं लोगों को स्कूलों में एडमिशन दिलाना था।
बड़वारा 46 378
बहोरीबंद 43 349
ढीमरखेड़ा 32 196
कटनी 124 883
रीठी 22 179
विजयराघवगढ़ 37 245
इनका कहना है
इस शिक्षण सत्र में 4015सीटों पर बच्चों को आरटीइ के तहत प्रवेश दिलाना था। 1439 छात्रों को ही प्रवेश दिया जाएगा। 2400आवेदन प्राप्त हुए थे। 2240 की लॉटरी खुली। इसके साथ ही निजी स्कूल संचालकों ने भी एडमिशन देने में इस शिक्षण में कोई सहयोग नहीं किया।
संध्या तिवारी, एपीसी, ऑनलाइन प्रभारी।
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