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जिले में 5 साल में आए 5 कलेक्टर, सबका रहा शिक्षा पर फोकस, जाते ही बंद हुए नवाचार, जानिए क्यो

जिले की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने आधा दर्जन हुए प्रयोग रहे सफल, सुचारू रूप से योजनाएं चलती रहे, इस पर विभाग ने नहीं दिया ध्यान

कटनीJun 17, 2019 / 10:35 am

dharmendra pandey

1607 students gave IGNTU entrance exam

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कटनी. जिले में पिछले पंाच साल के दौरान 5 कलेक्टर आए। सबका जिले की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने पर फोकस रहा। आधा दर्जन से अधिक प्रयोग किए गए। प्रयोग काफी हद तक सफल भी रहे। छात्रों को इसका फायदा भी मिला, लेकिन ये प्रयोग अधिक दिन तक चल नहीं पाए। स्थिति यह है कि कलेक्टरों के जाते ही योजनाएं बंद हो जाती है। कारण यह है कि विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों को योजनाएं बोझ लगती है। जब तक कलेक्टर रहते है तब तक अधिकारी-कर्मचारी दबाव में आकर योजना को सुचारू रूप से चलाते रहते है, लेकिन उनके जाते ही विभागीय अधिकारियों पर से दबाव कम हो जाता है और नए कलेक्टर को पुराने नवाचारों की तरफ ध्यान भी नहीं जाता है।
कक्षा 9वीं में दो बार फेल होने वाले छात्रों को कराई कोचिंग, दिलाई परीक्षा
विकास नरवाल: कक्षा 9वीं में लगातार दो बार फेल हो जाने वाले छात्रों को दाखिला नही मिलता है। ऐसे में ये छात्र पढ़ाई से वंचित रह जाते है। साल 15-16 में जिले में कलेक्टर रहे विकाश सिंह नरवाल से पढ़ाई से वंचित छात्रों के लिए प्रोजेक्ट रिमेडियल कक्षाएं शुरू कराई। उत्कृष्ट व दूसरे स्कूलों के शिक्षकों को बुलाकर बच्चों की पढ़ाई कराई। रिमेडियल उत्तर पुस्तिका बनवाई। बच्चों की पढ़ाई व उत्तर पुस्तिका बनवाने में लगने वाले खर्च के लिए खुद भी चंदा दिया और दूसरे विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से भी चंदा एकत्र किया। इस बीच उनका तबादला हो गया और योजना भी बंद हो गई।
विशेष गढ़पाले: कलेक्टर विकाश नरवाल के बाद प्रकाश जांगरे आए, लेकिन वे पांच माह से अधिक समय तक नहीं रहे। उनके जाने के बाद विशेष गढ़पाले जिले के कलेक्टर बने। वे 20 जुलाई 16 से 13 मार्च 18 तक जिले के कलेक्टर रहे। शिक्षा की व्यवस्था को मजबूत करने उन्होंने कई प्रयोग किए। जो काफी हद तक सफल रहे। कक्षा 10वीं पास करते ही सरकारी व निजी स्कूलों के छात्रों को मेडिकल व इंजीनियरिंग की भारत निर्माण-1 के नाम से निशुल्क कोचिंग की शुरुआत की। इसके अलावा जिले के छात्रों को मप्र लोकसेवा आयोग की निशुल्क तैयारी कराने भारत निर्माण कोचिंग-2 व स्कूल में शिक्षकों की कमीं को दूर करने ज्ञान सेतू जैसे कई प्रयोग किए। जो काफी हद तक सफल रहे। छात्रों का चयन भी हुआ। फिलहाल ये सभी योजना जिम्मेदारों की लापरवाही के भेंट चढ़ गई हैं। बंद हो गई।


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केवीएस चौधरी: विशेष गढ़पाले के बाद केवीएस चौधरी जिले के कलेक्टर बने। वे 13 मार्च 18 से 7 मार्च 19 तक कलेक्टर रहे। कक्षा पहली से लेकर 8वीं के बच्चों की पढ़ाई को लेकर उन्होंने विशेष जोर दिया। उनका मानना था कि बच्चों की जब नींव मजबूत होगी तभी वे सफल होंगे। कक्षा 1 से 8वीं तक बच्चों के लिए उन्होंने माड्यूल बनवाएं। उसी आधार पर छात्रों की पढ़ाई शुरू कराई गई। हाइस्कूल व हायर सेकंडरी का परीक्षा परिणाम बेहतर हो, इसके लिए जनवरी माह में परीक्षापयोगी प्रश्नपत्र तैयार कराए गए। फिलहाल यह प्रयोग भी बंद हो गया है। केवीएस चौधरी के बाद डॉ. पकंज जैन जिले के कलेक्टर बने, लेकिन वे दो-ढाई माह से अधिक नही रह पाई। उन्होंने भी शिक्षा व्यवस्था मजबूत बनाने पर जोर दिया। उनके जाने के बाद शशिभूषण सिंह को जिले का कलेक्टर बनाया गया हैं। हालांकि उनको पदभार संभाले अधिक दिन नहीं हुआ हैं। बीते दिन उन्होंने शिक्षा विभाग की बैठक लेकर शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने की चर्चा जरूर की हैं।

-योजनाएं क्यों बंद हो गई हैं, इसका पता लगाया जाएगा। जिले की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने और प्रयास किए जाएंगे।
शशिभूषण ङ्क्षसह, कलेक्टर

-कुछ योजनाएं फंड की वजह से रुक जाती है। जिले में शुरू की गई ज्ञान सेतू योजना वर्तमान समय में भी चल रही है। शेष योजनाओं को भी सुचार रूप से चालू कराया जाएगा।
एसएन पांडे, डीइओ।

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