शिक्षक बता रहे मजबूरी
शिक्षिका अर्चना झारिया ने बताया कि उक्त भवन की स्थिति के बारे में हमारे द्वारा विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों को अवगत कराया जा चुका है। यहां सामुदायिक भवन या अन्य कोई शासकीय बिल्डिंग खाली न होने के कारण मजबूरी में इसी भवन में स्कूल लगाने मजबूर होना पड़ता है। वैसे तो कक्षाएं दो कमरों में संचालित होती हैं, लेकिन अधिक बारिश के होने पर जब कमरों में छत से पानी टपकने लगता है, तो पांचों कक्षाओं के सभी छात्रों को एक ही कमरे में बिठाकर अध्ययन कराना पड़ता है। या फिर लगातार बारिश होने से स्कूल की छुट्टी कर देनी पड़ती है। जो कि बीते सत्र में एक दो बार ऐसा हो चुका है। शिक्षकों, पालकों सहित ग्रामवासियों ने संबंधित विभाग से उक्त स्थल पर जर्जर भवन को गिरवाकर उसकी जगह नया भवन निर्माण कराने की बात की है।
इनका कहना है
भवन जर्जर हालत में है, उसको गिरवाकर नये भवन का निर्माण कराया जाना है, अभी भवन स्वीकृत नहीं है। जब तक उक्त शाला के संचालन के लिए तत्कालिक विकल्प खोजने जनशिक्षक को कहा गया है।
विजय चतुर्वेदी, बीआरसी, ढीमरखेड़ा।
मैं गुरुवार को प्राथ शाला डूंड़ी गया था, जिस पर भवन की हालत को देखते हुए मेरे द्वारा सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी सहीत किसी अन्य शासकीय भवन में स्कूल लगाने की की बात शिक्षकों से कही गई है।
नर्मदा प्रसाद झारिया, जनशिक्षक।
डूंड़ी सहित जनपद क्षेत्रांगत आने वाले जर्जर शाला भवनों की फाइल हमने डीइओ ऑफिर कटनी में जमा कर दी है, जो कि स्वीकृति के लिए वहां से भोपाल भेजी गई है। जैसे ही फंड आता है, तो भवन निर्माण कराया जाएगा।
सुभाष शर्मा, इंजीनियर।