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मासूमों के सिर मंडरा रही मौत, टपक रही छत, टूटकर गिर रहा छप्पर, यहां एक कमरे में बैठाकर पढ़ाए जा रहे पांच कक्षाओं के बच्चे

जनपद शिक्षा केन्द्र ढीमरखेड़ा एवं बालक शाला संकुल उमरियापान के अंतर्गत प्राथमिक शाला डूंड़ी का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। भवन के पीछे की दीवार दरक चुकीं हैं। एक कमरे में कहीं छत नीचे न आ जाए ऐसे हालात बने हैं। इसके लिए ईंट के चार पिलर खड़े करके भवन को गिरने से रोककर रखा गया है। उसी से लगे दूसरे कमरे की छत में जगह-जगह बड़े-बड़े छेद हो गए हैं, तीसरे कमरे का भी फर्श और दीवार उधड रही है। जर्जर भवन के स्कूलों के शिक्षकों की मजबूरी है कि बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

कटनीJul 28, 2019 / 09:28 pm

balmeek pandey

patrika

Bad school read studied in katni

कटनी/पिपरिया सहलावन. जनपद शिक्षा केन्द्र ढीमरखेड़ा एवं बालक शाला संकुल उमरियापान के अंतर्गत प्राथमिक शाला डूंड़ी का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। भवन के पीछे की दीवार दरक चुकीं हैं। एक कमरे में कहीं छत नीचे न आ जाए ऐसे हालात बने हैं। इसके लिए ईंट के चार पिलर खड़े करके भवन को गिरने से रोककर रखा गया है। उसी से लगे दूसरे कमरे की छत में जगह-जगह बड़े-बड़े छेद हो गए हैं, तीसरे कमरे का भी फर्श और दीवार उधड रही है। जर्जर भवन के स्कूलों के शिक्षकों की मजबूरी है कि बच्चों को पढ़ा रहे हैं। एक कमरे में पांच कक्षाओं के 37 बच्चों को अध्ययन करा रहे हैं। शाला में अध्यनरत बच्चों के पालक विजय लोधी, नवनीत, शिवभगत लोधी सहित सुनील कुम्हार, मकरंद सिंह, रामकुमार, राजाराम लोधी आदि ने बताया कि यह भवन करीब पच्चीस साल पुराना हो चुका है, जो कि यह पिछले कुछ सालों से इसी तरह जर्जर हालत में है। जिसे अब संबंधित विभाग ने भी मान लिया है। इसके पहले पिछले साल इसको गिराकर यहां नये भवन को बनाए जाने की बातें सामने आई थी, लेकिन अब नये सत्र की फिर शुरुआत हो चुकी है। अभी तक अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं गया। उक्त भवन में बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजने में सोचना पड़ता है। हमेशा दहशत का माहौल रहता है। कब बच्चों के साथ हादसा हो जाए, कोई भरोसा नहीं।

शिक्षक बता रहे मजबूरी
शिक्षिका अर्चना झारिया ने बताया कि उक्त भवन की स्थिति के बारे में हमारे द्वारा विभागीय अधिकारी, कर्मचारियों को अवगत कराया जा चुका है। यहां सामुदायिक भवन या अन्य कोई शासकीय बिल्डिंग खाली न होने के कारण मजबूरी में इसी भवन में स्कूल लगाने मजबूर होना पड़ता है। वैसे तो कक्षाएं दो कमरों में संचालित होती हैं, लेकिन अधिक बारिश के होने पर जब कमरों में छत से पानी टपकने लगता है, तो पांचों कक्षाओं के सभी छात्रों को एक ही कमरे में बिठाकर अध्ययन कराना पड़ता है। या फिर लगातार बारिश होने से स्कूल की छुट्टी कर देनी पड़ती है। जो कि बीते सत्र में एक दो बार ऐसा हो चुका है। शिक्षकों, पालकों सहित ग्रामवासियों ने संबंधित विभाग से उक्त स्थल पर जर्जर भवन को गिरवाकर उसकी जगह नया भवन निर्माण कराने की बात की है।

इनका कहना है
भवन जर्जर हालत में है, उसको गिरवाकर नये भवन का निर्माण कराया जाना है, अभी भवन स्वीकृत नहीं है। जब तक उक्त शाला के संचालन के लिए तत्कालिक विकल्प खोजने जनशिक्षक को कहा गया है।
विजय चतुर्वेदी, बीआरसी, ढीमरखेड़ा।

मैं गुरुवार को प्राथ शाला डूंड़ी गया था, जिस पर भवन की हालत को देखते हुए मेरे द्वारा सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी सहीत किसी अन्य शासकीय भवन में स्कूल लगाने की की बात शिक्षकों से कही गई है।
नर्मदा प्रसाद झारिया, जनशिक्षक।

डूंड़ी सहित जनपद क्षेत्रांगत आने वाले जर्जर शाला भवनों की फाइल हमने डीइओ ऑफिर कटनी में जमा कर दी है, जो कि स्वीकृति के लिए वहां से भोपाल भेजी गई है। जैसे ही फंड आता है, तो भवन निर्माण कराया जाएगा।
सुभाष शर्मा, इंजीनियर।

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