जर्जर नहर ने एक बार फिर बढ़ाई किसानों की चिंता, इस सीजन गेहूं सिंचाई पर संशय
तीन साल से नहीं हुआ सिमरार जलाशय नहर का मरम्मत, फसलों की सिंचाई को लेकर चिंता में किसान.
17 से ज्यादा गांव में रबी सीजन में फसल का सिंचाई प्रमुख स्रोत खस्ताहाल
कौडिय़ा स्थित सिमरार जलाशय का नहर
कटनी. कौडिय़ा स्थित सिमरार जलाशय से अलग-अलग गांव में खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाने जल संसाधन विभाग द्वारा बनवाए गए नहरों की मरम्मत तीन साल से नहीं होने से किसान परेशान हैं।
कौडिय़ा, गाताखेड़ा सहित आसपास 17 से ज्यादा गांव के किसानों ने बताया कि रबी सीजन में गेहूं और अन्य फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहर से उनके खेतों तक पहुंचता है, ऐसे में नहर मरमम्मत पर ध्यान नहीं दिए जाने से किसानों को रबी फसल सिंचाई की चिंता सता रही है।
सिमरार जलाशय से एक नहर सिमरा, कौडिय़ा, दाताखेड़ा व केवलारी, पिपरिया, हिरवारा होते हुए बिलगवां तक पहुंचती है, दूसरी स्वराजपुर भनपुरा छहरी से बडख़ेरा तक है। दोनों ही नहरों के खस्ताहाल होने से सिंचाई का पानी खेतों तक पहुंचने के बजाए व्यर्थ बह जाता है।
सिमरा के पास मेन नहर कटी है। कौडिय़ा व गाताखेड़ा में कई स्थानों पर नहर का नामोनिशान ही मिट गया है। यहा से पानी बहकर सिमरौल नदी से आगे कटनी नदी में मिल जाता है। भनपुरा लाइन नहर में पुलिया में लीकेज के कारण पानी व्यर्थ बह रहा है।
किसानों ने बताया कि यहां 50 साल से ज्यादा समय से डेम के सहारे ही सिंचाई हो रही है। 10 हजार एकड़ से ज्यादा सिंचित क्षेत्र में एक हजार से ज्यादा किसानों को बांध से बड़ी उम्मींदे है। यह अलग बात है कि बीते तीन साल से जर्जर नहर किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है।
सिमरार जलाशय के आसपास के गांव के ग्रामीण इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि डेम में लीकेज के कारण पानी बाहर आ रहा है। सीपेज वाले कई स्थान हैं, जहां पानी नीचे बह रहा है। किसानों ने बताया कि इस समस्या से भी जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया गया है।
कौडिय़ा के किसान नितिन पांडेय के अनुसार बीते वर्षों के दौरान जलाशय में पानी भराव और नहरों की रखरखाव को लेकर समय-समय पर विभाग के अधिकारी ध्यान देते तो आज किसानों को सिंचाई के लिए पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा।
वहीं गाताखेड़ा के किसान संदीप तिवारी का कहना है कि नहर मरम्मत पर ध्यान नहीं देने के कारण कई स्थानों पर नहरें टूट गई है। पानी बहाव का लेबल भी सही नहीं होने के कारण पानी आपूर्ति पर असर पड़ रहा है। सिंचाई को लेकर किसानों की समस्या का समाधान विभाग के अधिकारी समय पर नहीं कर रहे हैं।
इस संबंध में जलसंसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री आरके खुराना का कहना है कि सिमरार जलाशय से नीचे फिल्टर से थोड़ा-थोड़ा पानी बह रहा है। नहर मरमम्त के लिए टेंडर लगा हुआ है। बरसात के बाद काम शुरु हो जाएगा। पानी खेतों तक पहुंचने में आ रही समस्या को लेकर लेबल चेक करके काम करवाया जाएगा।
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