12 दिन में 40 हजार बच्चों की हुई स्क्रीनिंग, 1300 से अधिक बच्चे मिले गंभीर बीमारियों से ग्रसित
क्या होता है चमकी बुखार
चमकी बुखार एक संक्रामक बीमारी है। यानी ये तेजी से एक से दूसरे के शरीर में प्रवेश कर लेती है। इस बीमारी के वायरस शरीर में पहुंचते ही खून में शामिल होकर अपना प्रजनन शुरू कर देते हैं। शरीर में इस वायरस की संख्या बढऩे पर ये खून के साथ मिलकर पीडि़त के दिमाग तक पहुंच जाते हैं। जैसे ही ये वायरस किसी व्यक्ति के दिमाग में पहुंचता है, तुरंत ही दिमाग की कोशिकाओं में सूजन पैदा होने लगती है। जिससे व्यक्ति का ‘सेंट्रल नर्वस सिस्टमÓ भी खराब हो जाता है। चमकी बुखार में बच्चे को काफी तेज बुखार चढ़ा रहता है, जो धीरे धीरे बढ़ता जाता है। बदन में ऐंठन के साथ बच्चा अपने दांत पर दांत चढ़ाए रहता है। शरीर में कमजोरी की वजह से बच्चा बार-बार बेहोश हो जाता है। शरीर में कंपन के साथ बार-बार झटके आने लगते हैं। इस बुखार की तीव्रता से शरीर एकदम सुन्न पड़ जाता है।
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ऐसे फैलता है चमकी बुखार
चमकी बुखार फैलने का कारण सामने आ रहा है ‘हाइपोग्लिसीन ए और मेथिलीन साइक्लोप्रोफिल ग्लीसीन’-एमसीपीजी नामक विषैला तत्व। ये तत्व लीची में पैदा होते हैं। बताया जा रहा है कि मानसून के पहले लीची के पकने के दिनों में यह बीमारी फैलती है। लीची के अधिक सेवन से ये जहरीले तत्व बच्चों के सूगर के लेबल को काफी हद तक कम करके उन्हें गंभीर रूप से बीमार कर डालते हैं।
डॉक्टरों ने सुझाए उपाय
डॉ. एसके निगम के अनुसार एंसिफलाइटिस के दौरान डॉक्टर एमआरआई या सीटी स्कैन करवा सकते हैंद्ध इसके अलावा इस बुखार की पहचान खून या पेशाब की जांच से भी हो सकती है। प्राइमरी एंसिफलाइटिस के मामलों में लंबर पंक्चर यानी रीढ़ की हड्डी से द्रव्य का सेंपल लेकर जांच की जाती है। इसके अलावा दिमाग की मस्तिष्क की बायोप्सी भी की जा सकती है।
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अपनाएं ये उपाय
– बच्चे को तेज बुखार आने पर उसके शरीर को गीले कपड़े से पोछते रहें, ऐसा करने से बुखार सिर पर नहीं चढ़ेगा।
– पेरासिटामोल की गोली या सिरप डॉक्टर की सलाह पर ही रोगी को दें।
– बच्चे को साफ बर्तन में एक लीटर पानी डालकर ओआरएस का घोल बनाकर दें, याद रखें इस घोल का इस्तेमाल 24 घंटे बाद न करें।
– बुखार आने पर रोगी बच्चे को दाएं या बाएं तरफ लिटाकर अस्पताल ले जाएं।
– बच्चे को बेहोशी की हालत में छायादार स्थान पर लिटाकर रखें।
– बुखार आने पर बच्चे के शरीर से कपड़े उतारकर उसे हल्के कपड़े पहनाएं, उसकी गर्दन सीधी रखें।
बुखार आने पर क्या न करें
– बच्चे को खाली पेट लीची न खिलाएं।
– अधपकी या कच्ची लीची का सेवन करने से बचें।
– बच्चे को कंबल या गर्म कपड़े न पहनाएं।
– बेहोशी की हालत में बच्चे के मुंह में कुछ न डालें।
– मरीज के बिस्तर पर न बैठें और न ही उसे बेवजह तंग करें।
– मरीज के पास बैठकर शोर न मचाएं।
फल सेवन को लेकर रखें सावधानी
डायटीशियन कशिश बत्रा के अनुसार गर्मी के मौसम में फल और खाना जल्दी खराब होता है। घरवाले इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे किसी भी हाल में जूठे और सड़े हुए फल नहीं खाए। बच्चों को गंदगी से बिल्कुल दूर रखें। खाने से पहले और खाने के बाद हाथ जरूर धुलवाएं। साफ पानी पिएं, बच्चों के नाखून नहीं बढऩे दें। बच्चों को गर्मियों के मौसम में धूप में खेलने से भी मना करें। रात में कुछ खाने के बाद ही बच्चे को सोने के लिए भेजें। डॉक्टरों की मानें तो इस बुखार की मुख्य वजह सिर्फ लीची ही नहीं बल्कि गर्मी और उमस भी है।
इनका कहना है
चमकी बुखार के संक्रमण को लेकर जिले में अलर्ट जारी किया गया है। सभी बीएमओ और जिला अस्पताल प्रबंधक को सतर्क रहने कहा गया है। लक्षण की स्थिति तत्काल उपचार कराने कहा गया है।
डॉ. एसके निगम, सीएमएचओ।